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सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थलों के मामले में नई याचिकाओं को किया खारिज

भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 से जुड़े मामले में नई याचिकाओं पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है. यह अधिनियम पूजा स्थलों के धार्मिक चरित्र को बदलने या उन्हें पुनः प्राप्त करने के प्रयासों पर रोक लगाता है. 14 फरवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, सीजेआई खन्ना ने कहा, "बस बहुत हो गया.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 से जुड़े मामले में नई याचिकाओं पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है. यह अधिनियम पूजा स्थलों के धार्मिक चरित्र को बदलने या उन्हें पुनः प्राप्त करने के प्रयासों पर रोक लगाता है. 14 फरवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, सीजेआई खन्ना ने कहा, "बस बहुत हो गया. इसे खत्म होना चाहिए," और जोर देकर कहा कि अदालत इस मामले में कोई नई याचिका स्वीकार नहीं करेगी.

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

सुप्रीम कोर्ट की यह सख्त टिप्पणी उस समय आई जब अदालत पूजा स्थल अधिनियम की वैधता पर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. यह अधिनियम 1991 में पारित हुआ था, जिसका उद्देश्य किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र में बदलाव की अनुमति न देना था, जैसा कि 15 अगस्त 1947 को था. यह कानून राम जन्मभूमि विवाद को इसके दायरे से बाहर रखता है.

अधिनियम की वैधता पर याचिका

इस कानून की वैधता पर मूल याचिका अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की थी. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्षों द्वारा 10 मस्जिदों को पुनः प्राप्त करने की मांग करने वाले 18 मुकदमों की कार्यवाही रोक दी थी और मंदिर-मस्जिद विवाद से संबंधित सभी मामलों को एक साथ जोड़ दिया था. इनमें शाही ईदगाह-कृष्ण जन्मभूमि, काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद और संभल मस्जिद विवाद शामिल हैं.

राजनीतिक और धार्मिक प्रतिक्रियाएं

इस कानून के खिलाफ कई विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम शामिल हैं. इन दलों ने कानून के सख्त पालन की मांग की है. वहीं, हिंदू समूहों और दक्षिणपंथी संगठनों ने इसका विरोध किया है.

न्यायालय का ध्यान और याचिकाओं पर रुख

सुनवाई के दौरान सीजेआई खन्ना ने यह स्पष्ट किया कि हालांकि नई याचिकाओं के लिए आवेदन स्वीकार किए जाएंगे, लेकिन केवल उन मामलों में जिन्हें पहले नहीं उठाया गया हो. वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने यह भी बताया कि केंद्र से जवाब का इंतजार किया जा रहा है.

सुनवाई की अगली तारीख

पूरे मामले की सुनवाई को अब अप्रैल के पहले सप्ताह तक स्थगित कर दिया गया है. इस बीच, पूजा स्थल अधिनियम को लेकर और अधिक कानूनी और राजनीतिक गतिविधियाँ जारी रहने की संभावना है.

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17 February 2025, 03:55 PM IST

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