26/11 के आरोपी तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण! आखिर भारत को कैसे मिली इतनी बड़ी कामयाबी?
26/11 मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा का आखिरकार अमेरिका से प्रत्यर्पण हो गया. ये काम आसान नहीं था, भारतीय एजेंसियों को कई बार अमेरिका के साथ बातचीत करनी पड़ी और अदालतों में लड़ा गया. राणा ने अपने खिलाफ आरोपों को नकारा लेकिन अमेरिकी कोर्ट ने उसकी हर दलील खारिज कर दी. अब राणा भारत में न्याय का सामना करेगा. जानिए कैसे भारतीय अधिकारियों ने राणा के प्रत्यर्पण को सुनिश्चित किया और क्यों यह कार्रवाई भारत और अमेरिका के रिश्तों के लिए अहम है. पूरी कहानी जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर!

Tahawwur Rana Extradition: भारत को बड़ी कामयाबी मिली है, जब 26/11 मुंबई आतंकी हमलों से जुड़े आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाया गया. यह मामला किसी एक देश का नहीं बल्कि वैश्विक सहयोग और न्याय के लिए एक बड़ा कदम था. 64 वर्षीय तहव्वुर राणा, पाकिस्तान में जन्मा एक कनाडाई नागरिक है.
उसे 18 अक्टूबर 2009 में अमेरिका ने गिरफ्तार किया था और वह मुंबई हमलों की साजिश में शामिल था. हालांकि, राणा का प्रत्यर्पण इतना आसान नहीं था. इस दौरान भारतीय अधिकारियों को कई बार अमेरिकी सरकार से बातचीत करनी पड़ी और विभिन्न कानूनी पहलुओं पर जोर डालना पड़ा.
कैसे हुआ प्रत्यर्पण, राणा ने क्या दावे किए?
राणा का नाम अक्सर डेविड हेडली के साथ लिया जाता है, जो 26/11 मुंबई हमलों में शामिल था. भारत ने राणा का प्रत्यर्पण करने के लिए अमेरिका से कई बार अनुरोध किया, लेकिन यह आसान नहीं था. पहले हेडली ने अमेरिकी जूरी के सामने राणा के खिलाफ गवाही दी, जिसमें कहा गया कि राणा ने लश्कर-ए-तैयबा (LET) की मदद की थी. हालांकि राणा ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि हेडली ने उसकी जानकारी के बिना उसका इस्तेमाल किया था. उसने यह भी कहा कि हेडली के बयान झूठे थे, क्योंकि हेडली को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से प्रशिक्षण मिला था. लेकिन अदालत ने उसकी दलीलें नकारते हुए अंततः राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी.
भारत की कोशिशें और US के अधिकारियों से बार-बार संवाद
भारत और अमेरिका के बीच यह प्रत्यर्पण प्रक्रिया कई सालों से चल रही थी. भारतीय वकील दयान कृष्णन ने इस मामले में अहम भूमिका निभाई, जिन्होंने अमेरिका में भारतीय पक्ष की ओर से पैरवी की. एनआईए ने अमेरिकी अधिकारियों से कई बार मुलाकात की और राणा के खिलाफ साक्ष्य प्रस्तुत किए. राणा को गिरफ्तार करने के बाद, अमेरिका के अधिकारियों ने उसे रिहा करने की कोशिश की लेकिन भारतीय अधिकारियों ने उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया और भारत भेजने का रास्ता साफ किया.
अंतिम मंजूरी और राणा के खिलाफ सुनवाई
अगस्त 2023 में, अमेरिका में राणा के खिलाफ अंतिम फैसला आया और उसे भारत भेजने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने मंजूरी दी. हालांकि राणा ने इस फैसले को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया, लेकिन उसकी हर याचिका खारिज कर दी गई. अब, राणा भारत में मुंबई हमलों के आरोपों का सामना करेगा.
न्याय की जीत: राणा के खिलाफ मुकदमा और भारत का बड़ा कदम
राणा का प्रत्यर्पण सिर्फ एक कानूनी जीत नहीं बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत का एक महत्वपूर्ण कदम था. इस मामले ने यह साफ किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ सख्त है और किसी भी आरोपी को बचने नहीं दिया जाएगा. राणा का प्रत्यर्पण भारत और अमेरिका के सहयोग का प्रतीक है, और इससे यह भी साबित होता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. अब राणा को भारतीय न्यायालय में मुंबई हमलों के आरोपों का सामना करना होगा और इस प्रक्रिया से उम्मीद की जा रही है कि भारत को न्याय मिलेगा.


