दो वोटर आईडी कार्ड रखने के मामले में बढ़ी तेजस्वी यादव की मुश्किलें, बीजेपी के दावे के बाद चुनाव आयोग ने भेजा नोटिस
राजद नेता तेजस्वी यादव ने दावा किया कि उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाया गया, लेकिन चुनाव आयोग ने इसे खारिज कर उनके दो EPIC नंबरों पर सफाई मांगी है. आयोग ने जांच की मांग की है, जबकि भाजपा ने तेजस्वी पर मतदाताओं को गुमराह करने का आरोप लगाया है. मामला राजनीतिक और कानूनी मोड़ ले सकता है.

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि उनका नाम बिहार की मतदाता सूची से हटा दिया गया है. उनके इस बयान के बाद चुनाव आयोग ने तत्काल संज्ञान लेते हुए उन्हें नोटिस जारी किया है और उनके द्वारा बताए गए मतदाता पहचान पत्र (EPIC) नंबर की जानकारी मांगी है.
क्या है EPIC संख्या?
ईपीआईसी यानी 'इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड' नंबर एक दस अंकों की यूनिक पहचान संख्या होती है, जो हर वोटर कार्ड पर अंकित होती है. चुनाव आयोग इसी के आधार पर मतदाताओं की पहचान करता है और सूची को अपडेट करता है.
चुनाव आयोग का जवाब
तेजस्वी के बयान पर चुनाव आयोग ने कहा है कि उनकी जांच में यह पाया गया है कि तेजस्वी यादव का नाम बिहार की प्रारंभिक मतदाता सूची में पहले से ही दर्ज है. आयोग के अनुसार, उनका नाम मतदान केंद्र संख्या 204 (बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पुस्तकालय भवन) में सीरियल नंबर 416 पर मौजूद है और इससे जुड़ा EPIC नंबर RAB0456228 है.
तेजस्वी द्वारा बताए गए नंबर पर उठे सवाल
तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जो EPIC नंबर साझा किया था, वह RAB2916120 था. चुनाव आयोग की प्रारंभिक जांच के अनुसार यह संख्या आयोग की सूची में अधिकृत रूप से जारी नहीं की गई प्रतीत होती है. इससे यह संदेह उत्पन्न हुआ है कि कहीं यह नंबर त्रुटिपूर्ण या फर्जी तो नहीं है.
चुनाव आयोग की अपील
आयोग ने तेजस्वी यादव से आग्रह किया है कि वह प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत किए गए EPIC नंबर की मूल प्रति या संबंधित दस्तावेज आयोग को उपलब्ध कराएं, ताकि उस नंबर की पूर्ण रूप से जांच की जा सके. आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति दो अलग-अलग EPIC कार्ड रखता है तो यह गंभीर उल्लंघन और संभावित अपराध की श्रेणी में आता है.
राजनीतिक विवाद
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तेजस्वी यादव पर हमला बोला है. भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि तेजस्वी जानबूझकर मतदाताओं को गुमराह कर रहे हैं और दो अलग-अलग पहचान पत्र रखने की बात सामने आने पर उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.
आगे क्या हो सकता है?
अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि तेजस्वी यादव आयोग को कौन से दस्तावेज सौंपते हैं और क्या यह विवाद किसी कानूनी कार्यवाही की ओर बढ़ेगा. यदि EPIC नंबर फर्जी साबित होता है, तो यह मामला और गंभीर हो सकता है.


