तेलंगाना टनल हादसाः कब तक निकलेंगे मजदूर? घटना के 10 दिन बाद भी बचाव अभियान जारी
तेलंगाना के नागरकुरनूल में सुरंग ढहने के 10 दिनों बाद भी मजदूरों को नहीं निकाला जा सका है. एनडीआरएफ कमांडेंट वीवीएन प्रसन्ना कुमार ने बताया कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, भारतीय सेना और हाइड्रा के सदस्यों सहित लगभग 300 कर्मी बचाव कार्यों में शामिल हैं. इस बीच तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने घटनास्थल का दौराा किया.अपने दौरे के दौरान रेड्डी ने स्थिति पर अपडेट देते हुए कहा कि बचाव कर्मियों को अभी भी पूरी तरह से पता नहीं चल पाया है कि ढही सुरंग में मजदूर और मशीनरी कहां फंसी हुई है.

तेलंगाना के नागरकुरनूल में सुरंग ढहने के 10 दिनों बाद भी मजदूरों को नहीं निकाला जा सका है. अभी भी मजदूर सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं और रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग में हादसा होने से 8 श्रमिक उसके अंदर फंस गए. कई एजेंसियों द्वारा लगातार चलाए जा रहे अभियानों के बावजूद, अधिकारी अभी तक उनके सटीक स्थान का पता नहीं लगा पाए हैं.
300 कर्मी बचाव कार्यों में शामिल
एनडीआरएफ कमांडेंट वीवीएन प्रसन्ना कुमार ने बताया कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, भारतीय सेना और हाइड्रा के सदस्यों सहित लगभग 300 कर्मी बचाव कार्यों में शामिल हैं. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन पूरे जोरों पर है. दुर्भाग्य से ऑपरेशन की जटिलताओं के कारण हम अभी तक पीड़ितों का पता नहीं लगा पाए हैं. हालांकि, राज्य और केंद्र सरकार दोनों ही अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही हैं.
इस बीच तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने घटनास्थल का दौराा किया.अपने दौरे के दौरान रेड्डी ने स्थिति पर अपडेट देते हुए कहा कि बचाव कर्मियों को अभी भी पूरी तरह से पता नहीं चल पाया है कि ढही सुरंग में मजदूर और मशीनरी कहां फंसी हुई है. उन्होंने कहा कि उन्हें शुरुआती जानकारी है, लेकिन सटीक स्थान अभी भी स्पष्ट नहीं है." हालांकि, रेड्डी ने आश्वासन दिया कि बचाव कार्य में तेजी लाने के प्रयास जारी हैं, जिसमें क्षतिग्रस्त कन्वेयर बेल्ट की मरम्मत भी शामिल है, जिससे साइट से गाद साफ करने में मदद मिलने की उम्मीद है. इससे बचाव प्रक्रिया में काफी तेजी आएगी, क्योंकि कन्वेयर बेल्ट सोमवार तक चालू हो जाएगी.
रोबोटिक सिस्टम यूज करने का भी रखा प्रस्ताव
सीएम ने साइट के भीतर कठिन परिस्थितियों को देखते हुए बचाव कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरंग के अंदर रोबोट के इस्तेमाल का भी प्रस्ताव रखा. उन्होंने फंसे हुए श्रमिकों के परिवारों को सहायता प्रदान करने सहित स्थिति को हल करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया.
दो से तीन दिन और लग सकते हैं
हाल ही में, राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) द्वारा चिन्हित स्थानों पर रैट माइनर्स ने खुदाई की, जहाँ संभावित रूप से श्रमिक हो सकते हैं. हालांकि, इन प्रयासों में अब तक मानव उपस्थिति के कोई संकेत नहीं मिले हैं. सुरंग के अंदर कीचड़ और पानी की मौजूदगी ने बचाव अभियान की प्रगति में बाधा उत्पन्न की है, सीएम ने कहा कि अभियान को निर्णायक चरण तक पहुंचने में दो से तीन दिन और लग सकते हैं.
मुख्यमंत्री ने बचाव कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए ऑपरेशन में सहायता के लिए रोबोटिक तकनीक का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया. उन्होंने बीआरएस अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव और केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि 10 साल तक मुख्यमंत्री रहे राव ने एसएलबीसी सहित सिंचाई परियोजनाओं की अनदेखी की.
फंसे लोगों में इंजीनियर और मजदूर शामिल
आपको बता दें कि फंसे हुए लोगों में इंजीनियर और मजदूर शामिल हैं. अभी तक पता नहीं चल पाया है कि वह किस स्थिति में हैं. ना ही उनकी लोकेशन ट्रेस हो पा रही है. रेस्क्यू टीमें उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए दिन-रात काम कर रही हैं.
इससे पहले राज्य के आबकारी मंत्री जुपल्ली कृष्ण राव ने कहा था कि मलबे के नीचे फंसे चार लोगों के बचने की संभावना बहुत कम है. उन्होंने कहा कि मैंने कहा था कि बचने की संभावना बहुत कम है. मैं इसके बारे में बात नहीं कर रहा हूं, लेकिन एक प्रतिशत संभावना (जीवित रहने की) के मद्देनजर इंतजार कर रहा हूं.


