'वो जो बनीं अनाथों की मां' ... साध्वी ऋतंभरा को मिला पद्मभूषण, कहा– ये सम्मान गुरुदेव के चरणों में है
राम मंदिर आंदोलन में अपने जोशीले भाषणों से पहचान बनाने वाली साध्वी ऋतंभरा को अब उनके सेवा कार्यों के लिए देश का बड़ा सम्मान मिला है. वृंदावन में अनाथ बच्चों की परवरिश से लेकर उनकी पढ़ाई और शादी तक की जिम्मेदारी उठाने वाली साध्वी ने इस पुरस्कार को अपने गुरु को समर्पित किया है. जानिए कैसे साध्वी ऋतंभरा बनीं हजारों बच्चों की 'वात्सल्य मां' और किस सोच ने उन्हें दिलाया पद्मभूषण... पूरी खबर पढ़िए.

Padma Bhushan for Sadhvi Rithambara: जब कोई अपने जीवन को दूसरों की सेवा में समर्पित कर देता है तो समाज उसे सम्मान की दृष्टि से देखता है. साध्वी ऋतंभरा इसका जीता-जागता उदाहरण हैं. ओजस्वी भाषणों से राम मंदिर आंदोलन में पहचान बनाने वाली साध्वी आज उन अनाथ बच्चों की मां बन चुकी हैं, जिन्हें शायद जिंदगी ने पहले ही ठुकरा दिया था. अब उन्हीं सेवा कार्यों का नतीजा है कि साध्वी ऋतंभरा को देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मभूषण से नवाजा गया है.
सम्मान मिला सेवा के लिए, समर्पण किया गुरु के नाम
मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने साध्वी ऋतंभरा को सामाजिक क्षेत्र में किए गए कार्यों के लिए पद्मभूषण से सम्मानित किया. साध्वी ने इस पुरस्कार को अपने गुरुदेव स्वामी परमानंद गिरि के चरणों में समर्पित करते हुए कहा, 'इस सम्मान से मेरे गुरुदेव की प्रेरणा और वात्सल्य ग्राम की सोच को नई पहचान मिली है.' यह पुरस्कार सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि उस सोच का भी सम्मान है जो निस्वार्थ सेवा को जीवन का उद्देश्य मानती है.
#WATCH | Delhi: Sadhvi Ritambhara receives the Padma Bhushan from President Droupadi Murmu, for her contribution to the field of social work. pic.twitter.com/lfn4q1UXCw
— ANI (@ANI) May 27, 2025
वात्सल्य ग्राम – जहां अनाथों को मिलती है मां की ममता
वृंदावन स्थित वात्सल्य ग्राम साध्वी ऋतंभरा की सोच और समर्पण का सजीव उदाहरण है. यहाँ अनाथ बच्चों को न केवल छत मिलती है, बल्कि प्यार, शिक्षा और भविष्य की दिशा भी मिलती है. साध्वी इन बच्चों की पढ़ाई से लेकर विवाह तक की जिम्मेदारी खुद उठाती हैं. आज वात्सल्य ग्राम के कई बच्चे देश के प्रतिष्ठित कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे हैं और अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं.
राम मंदिर आंदोलन से बनीं पहचान, सेवा से मिली पहचान
साध्वी ऋतंभरा को पहली बार देश ने तब जाना जब उन्होंने राम मंदिर आंदोलन के दौरान अपने तेजस्वी और जोशीले भाषणों से लाखों लोगों को प्रेरित किया. लेकिन आज वही साध्वी, जो कभी आंदोलन की आवाज़ थीं, अब सेवा की मिसाल बन चुकी हैं. उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि अगर सोच सच्ची हो और नीयत साफ, तो कोई भी राह मुश्किल नहीं होती.
साध्वी का संदेश
पद्मभूषण मिलने के बाद साध्वी ने कहा, "यह सम्मान परमशक्ति पीठ, वात्सल्य ग्राम और उन सभी लोगों का है, जिन्होंने बिना किसी लालच के मानव सेवा में खुद को समर्पित किया." उन्होंने यह भी कहा कि समाज की सच्ची सेवा ही सच्चा धर्म है. साध्वी ऋतंभरा का सफर बताता है कि एक विचार, एक सपना, और समर्पण से समाज को बदला जा सकता है. पद्मभूषण पुरस्कार उनके उसी समर्पण का सम्मान है, जो उन्होंने अनगिनत अनाथ बच्चों की मुस्कान और भविष्य को संवारने में लगाया.


