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ये हैं भारत के सबसे बड़े डाकू, जिनका नाम सुनते ही लोगों की कांप जाती थी रूह

Indian Dacoits: भारत के इतिहास में कई ऐसे डाकू हुए, जिनका सिर्फ नाम सुनते ही लोग डर से कांप उठते थे. ये डाकू न सिर्फ आम जनता के लिए बल्कि पुलिस और प्रशासन के लिए भी बड़ा खतरा थे. लूट, हत्या और अपहरण इनके लिए आम सी बात थी. आइए जानते हैं भारत के सबसे कुख्यात डाकुओं के बारे में...

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Indian Dacoits: भारत के इतिहास में कई ऐसे डाकू हुए, जिनका सिर्फ नाम सुनते ही लोगों की रूह कांप जाती थी. सिर्फ आम जनता ही नहीं, बल्कि पुलिस और प्रशासन भी इनसे डरता था. लूटपाट, अपहरण और हत्याएं उनके लिए आम बात थी. कुछ ने बाद में आत्मसमर्पण कर दिया, जबकि कुछ का अंत पुलिस मुठभेड़ में हुआ. आज हम आपको भारत के पांच सबसे कुख्यात डाकुओं के बारे में बता रहे हैं, जिनकी दहशत एक समय में पूरे देश में फैली हुई थी. इन डाकुओं का आतंक इतना था कि इनके नाम से ही गांवों में सन्नाटा छा जाता था. 

भारत के इन कुख्यात डाकुओं की कहानियां समाज में अपराध के अंधेरे पक्ष को उजागर करती हैं. कुछ परिस्थितियों के कारण अपराध की दुनिया में गए, तो कुछ ने इसे पेशे के रूप में अपना लिया. इनकी दहशत के किस्से आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं. आइए जानते हैं इन खूंखार डाकुओं के बारे में.

जंगलों का बेताज बादशाह वीरप्पन

वीरप्पन भारतीय इतिहास का सबसे कुख्यात डाकू था, जिसने दक्षिण भारत के कर्नाटक-तमिलनाडु सीमा पर स्थित जंगलों को अपना ठिकाना बनाया था. हाथी दांत और चंदन की तस्करी उसका मुख्य पेशा था. 1970 के दशक से उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा और कई वर्षों तक पुलिस के लिए सिरदर्द बना रहा. वीरप्पन ने 80 से अधिक पुलिसकर्मियों और वन अधिकारियों की हत्या कर दी थी. आखिरकार, तमिलनाडु स्पेशल टास्क फोर्स ने एक विशेष अभियान चलाकर उसे 2004 में मार गिराया.

चंबल का खतरनाक डाकू निर्भय सिंह गुर्जर

चंबल के बीहड़ों में आतंक मचाने वाले निर्भय सिंह गुर्जर का नाम भी भारत के सबसे खतरनाक डाकुओं में गिना जाता है. लूट, हत्या और अपहरण की घटनाओं से उसने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में दहशत फैला रखी थी. गांववालों में से किसी पर भी मुखबिर होने का शक होने पर वह उसे गोली मार देता था. मध्य प्रदेश सरकार ने उसके सिर पर ढाई लाख रुपये का इनाम रखा था. आखिरकार, 2005 में यूपी एसटीएफ ने उसे एक मुठभेड़ में ढेर कर दिया.

फूलन देवी का डाकुओं में विशेष नाम

फूलन देवी का नाम भारतीय डाकुओं की सूची में अलग महत्व रखता है. परिस्थितियों ने उसे डकैत बनने पर मजबूर कर दिया. कहा जाता है कि बचपन में उसके साथ गैंग रेप हुआ और उसके पिता की हत्या कर दी गई. इस अपमान का बदला लेने के लिए उसने चंबल के बीहड़ों में पनाह ली और अपने दुश्मनों को मौत के घाट उतारना शुरू किया. बेहमई हत्याकांड में उसने 20 ठाकुरों को गोलियों से भून डाला था. बाद में उसने आत्मसमर्पण कर राजनीति में कदम रखा और सांसद बनी. लेकिन 2001 में शेर सिंह राणा नाम के शख्स ने उसकी हत्या कर दी.

1,112 डकैतियों का मास्टरमाइंड डाकू मान सिंह

मान सिंह को चंबल के सबसे खूंखार डाकुओं में से एक माना जाता है. उसने 1935 से 1955 के बीच करीब 1,112 डकैतियों को अंजाम दिया और 182 लोगों की हत्या की, जिनमें 32 पुलिसकर्मी भी शामिल थे. वह डकैती में बाधा बनने वाले किसी भी व्यक्ति को तुरंत मौत के घाट उतार देता था. आखिरकार, 1955 में पुलिस ने उसे और उसके बेटे सूबेदार सिंह को एक मुठभेड़ में मार गिराया.

एथलीट से डाकू बने पान सिंह तोमर

पान सिंह तोमर भारतीय सेना में जवान और एक शानदार एथलीट था. दौड़ने में निपुण होने के कारण उसने कई पुरस्कार जीते थे. लेकिन सेना से सेवानिवृत्ति के बाद जब वह अपने गांव लौटा, तो पारिवारिक विवादों और अन्य परिस्थितियों के चलते उसे हथियार उठाने पड़े. धीरे-धीरे वह चंबल घाटी में कुख्यात डाकू बन गया. 1981 में पुलिस ने उसे एक मुठभेड़ में मार गिराया.

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28 February 2025, 12:34 PM IST

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