तीनों सेनाएं, तीन सलामी: क्यों अलग है आर्मी, नेवी और एयरफोर्स का सैल्यूट स्टाइल?
भारतीय थल सेना, नौसेना और वायुसेना के सैल्यूट करने के तरीके अलग-अलग होते हैं, क्योंकि ये उनकी परंपरा, कार्यशैली और इतिहास को दर्शाते हैं. थल सेना हथेली सामने रखती है, नौसेना हथेली नीचे करती है, जबकि वायुसेना 45 डिग्री कोण पर सलामी देती है, जो उनकी पहचान और संस्कृति का प्रतीक है.

भारतीय सेना की तीनों शाखाएं—थल सेना, वायुसेना और नौसेना—देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. ये सिर्फ सैन्य बल ही नहीं, बल्कि अनुशासन, साहस और राष्ट्रभक्ति के प्रतीक हैं. आपने अक्सर इन सेनाओं के जवानों और अधिकारियों को सैल्यूट करते हुए देखा होगा, लेकिन क्या आपने यह गौर किया है कि तीनों सेनाओं का सलामी देने का तरीका एक-दूसरे से अलग होता है? आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह.
भारतीय थल सेना (Indian Army)
भारतीय थल सेना में सलामी देने का तरीका सबसे पारंपरिक और सीधे सम्मान को दर्शाने वाला है. इसमें सैल्यूट करते समय दाहिने हाथ की हथेली पूरी तरह खुली होती है और उसे सामने की ओर रखा जाता है. उंगलियां और अंगूठा आपस में जुड़े रहते हैं और हाथ को सीधे माथे की ओर ले जाया जाता है. यह सलामी अनुशासन, निष्ठा और वरिष्ठों के प्रति आदर का प्रतीक है. यह तरीका स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है कि सामने वाला सैनिक निहत्था है और उसके इरादे सम्मानजनक हैं.
भारतीय नौसेना (Indian Navy)
भारतीय नौसेना का सैल्यूट थल सेना से अलग होता है. नौसेना में सैल्यूट करते समय हथेली नीचे की ओर होती है और हाथ को माथे से लगभग 90 डिग्री के कोण पर रखा जाता है. इसका एक ऐतिहासिक कारण है. पुराने समय में जब नाविक लंबे समय तक समुद्र में यात्रा करते थे, तब उनके हाथ अक्सर गंदे या घिसे-पिटे होते थे. ऐसे में खुली हथेली से सैल्यूट करना वरिष्ठ अधिकारी के प्रति अपमानजनक माना जाता था. इसलिए हथेली को नीचे की ओर कर सैल्यूट करने की परंपरा शुरू हुई, जो आज भी निभाई जा रही है.
भारतीय वायुसेना (Indian Air Force)
भारतीय वायुसेना की सलामी का तरीका थल सेना और नौसेना के बीच की कड़ी जैसा है. वायुसेना में सैल्यूट करते समय दाहिने हाथ की हथेली खुली होती है, लेकिन इसे ज़मीन से 45 डिग्री के कोण पर रखा जाता है. यह तरीका 2006 में अपनाया गया था और यह वायुसेना की "गौरव के साथ आकाश को छूने" की भावना को दर्शाता है. यह सलामी इस बात का प्रतीक है कि वायुसेना न केवल अनुशासित है, बल्कि ऊंचाई और तकनीक की दिशा में भी अग्रसर है.
तीनों सेनाओं के सलामी देने के ये अलग-अलग तरीके सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि उनकी पहचान, भूमिका और इतिहास से जुड़े हैं. ये हमें यह सिखाते हैं कि सम्मान दिखाने का हर तरीका अपनी अलग गरिमा और संस्कृति रखता है.


