हूती ने हवा में ही फाड़ दिया अमेरिका का घमंड, ‘मिसाइल जुगाड़’ बना वर्ल्ड पावर का दुश्मन नंबर 1
यमन के हूती विद्रोही अब सिर्फ एक स्थानीय लड़ाकू गुट नहीं रहे, बल्कि उन्होंने खुद को दुनिया की बड़ी सेनाओं के सामने एक ऐसी चुनौती के रूप में खड़ा कर दिया है, जिसे नजरअंदाज करना अब नामुमकिन हो गया है. अमेरिका जैसे सुपरपावर की रीपर ड्रोन टेक्नोलॉजी को नाकाम करते हुए हूती लड़ाकों ने अब तक 67 से ज्यादा हाईटेक ड्रोन गिरा दिए हैं.

अमेरिका और इजराइल जैसी सैन्य महाशक्तियों के लगातार मिसाइल और ड्रोन हमलों के बावजूद हूती विद्रोही जिस मजबूती से जमे हुए हैं, उसने वैश्विक रणनीतिक विशेषज्ञों को हैरानी में डाल दिया है. सवाल उठता है वो कौन सी तकनीक है, कौन सा एयर डिफेंस सिस्टम है, जिससे हूती इतनी जबर्दस्त टक्कर दे रहे हैं? इस लेख में हम हूती के उस एयर डिफेंस सिस्टम की परतें खोलेंगे, जिसने 3 करोड़ डॉलर के अमेरिकी ड्रोन तक गिरा दिए और इज़राइली जेट्स को हवा में ही टारगेट किया.
अमेरिका को 22 बार का झटका
हूती विद्रोहियों का दावा है कि उन्होंने अक्टूबर 2023 से अब तक 22 MQ-9 Reaper ड्रोन को मार गिराया है. ये वही रीपर ड्रोन हैं, जिन्हें अमेरिका सबसे एडवांस मानता है और जिनकी कीमत लगभग 3 करोड़ डॉलर प्रति यूनिट होती है. अमेरिकी रक्षा विभाग ने भी मार्च 2025 के बाद 67 ड्रोन गिरने की पुष्टि की है, जो हूती के दावों को और भी विश्वसनीय बनाता है.
पहली बार एयर डिफेंस का खुला प्रदर्शन
हाल ही में जब इज़राइल ने यमन पर बड़ा हवाई हमला किया, तो हूती संगठन ‘अंसारुल्लाह’ ने पहली बार खुलेआम अपने देश में बने एयर डिफेंस सिस्टम का उपयोग किया. जैसे ही इजराइली फाइटर जेट्स यमन के आसमान में घुसे, हूती विद्रोहियों ने दर्जनों मिसाइलें दाग दीं, जिससे इज़राइली और अमेरिकी खेमे में हड़कंप मच गया.
358 मिसाइल: हवा में मंडराती मौत
हूती विद्रोहियों की सबसे घातक मिसाइल है 358 मिसाइल, जिसे वे Saqr-1 कहते हैं. यह कोई आम मिसाइल नहीं है यह एक लॉइटरिंग मिसाइल है यानी यह लंबे समय तक आसमान में घूमती रहती है और सही समय पर हमला करती है. इस मिसाइल में टर्बोजेट इंजन है, जो इसे अन्य पारंपरिक मिसाइलों से काफी अलग बनाता है. 2019 में अमेरिकी नेवी ने इसकी पहली झलक तब देखी जब उन्होंने एक जहाज से इसके पुर्जे ज़ब्त किए थे. लेकिन अब यह मिसाइल हूती के पास सक्रिय ड्यूटी में तैनात है.
रूस की एयर-टू-एयर मिसाइलों का नया जन्म
हूती विद्रोहियों के पास रूस से मिली पुरानी एयर-टू-एयर मिसाइलें भी हैं. लेकिन उन्होंने इन्हें पूरी तरह से मॉडिफाई कर दिया है.
इन मिसाइलों को अब ज़मीन से हवा में मार करने वाले सिस्टम में बदल दिया गया है:
R-73E → Thaqib-1
R-27T → Thaqib-2
R-77 → Thaqib-3
कहा जा रहा है कि इसमें ईरान की तकनीकी मदद भी शामिल है, लेकिन हूती विद्रोही खुद भी जुगाड़ और तकनीकी समझ से पुराने हथियारों को नई जान देने में माहिर हो चुके हैं.
कबाड़ से तैयार किया जंग का नया Arsenal
2014 में यमन की सत्ता पर कब्जा करने के बाद हूती विद्रोहियों को सरकार के पुराने सोवियत दौर के एयर डिफेंस सिस्टम हाथ लगे.
दुनिया ने जिन्हें कबाड़ मान लिया था, हूती ने उन्हें फिर से जिंदा कर दिया.
S-75: भारी रडार गाइडेड मिसाइल, दूर से टारगेट को ट्रैक कर गिराने में सक्षम
2K12 Kub: मोबाइल सिस्टम, फाइटर जेट्स को हवा में ही टारगेट कर सकता है
Strela Missiles: कंधे पर रखकर दागी जाने वाली छोटी मिसाइलें, लेकिन बेहद असरदार
इन सभी हथियारों को हूती ने स्थानीय स्तर पर मॉडिफाई किया और जमीन से आसमान तक मजबूत एयर डिफेंस तैनात कर दिया.
तकनीक और ट्रेनिंग दोनों में मदद?
विशेषज्ञों का मानना है कि हूती को ईरान की ओर से तकनीकी सहयोग, ट्रेंनिंग और पार्ट्स की मदद मिल रही है.
ईरानी हथियार जैसे Fateh-110, Qasef drones, और Raad मिसाइल सिस्टम के नक्शेकदम पर हूती अपने सिस्टम तैयार कर रहे हैं.


