आज मौसम दिखाएगा रौद्र रूप, दिल्ली-यूपी में भारी बारिश की चेतावनी
देशभर में मानसून ने जोर पकड़ा है, जिससे कई राज्यों में तेज बारिश, बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति बनी हुई है. हिमाचल, असम, झारखंड जैसे राज्य सबसे अधिक प्रभावित हैं और मौसम विभाग ने कई क्षेत्रों में अलर्ट जारी किया है.

सावन का महीना शुरू होते ही मानसून पूरे देश में अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज करा रहा है. भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने आगामी कुछ घंटों के लिए कई राज्यों में तेज बारिश का अलर्ट जारी किया है. विशेष रूप से राजस्थान, दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में आंधी-तूफान के साथ मूसलाधार बारिश की संभावना जताई गई है. दिल्ली में एक सप्ताह तक बादल छाए रहने और रुक-रुक कर हल्की बारिश की संभावना है.
बाढ़ से प्रभावित राज्य और नुकसान
मानसून की वजह से देश के कई हिस्सों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है. असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, मणिपुर, त्रिपुरा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. हिमाचल प्रदेश की स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है, जहां अब तक बारिश और भूस्खलन से 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
भूस्खलन और बिजली गिरने का खतरा
उत्तर प्रदेश और बिहार में आकाशीय बिजली गिरने की चेतावनी जारी की गई है. पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने और भूस्खलन का खतरा भी मंडरा रहा है. वहीं, महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड में नदियों का जलस्तर बढ़ने से स्थिति और गंभीर हो सकती है.
वर्षा में क्षेत्रीय असमानता
हालांकि देशभर में औसतन सामान्य से 9% अधिक बारिश हुई है, लेकिन यह वितरण असमान है. कुछ राज्यों जैसे झारखंड, राजस्थान और लद्दाख में सामान्य से कहीं ज्यादा बारिश हुई है, वहीं पूर्वोत्तर और दक्षिणी भारत के कुछ हिस्सों में वर्षा की भारी कमी देखी गई है.
झारखंड में सामान्य 348.9 मिमी की तुलना में 595.8 मिमी बारिश हुई है, जो 71% अधिक है. राजस्थान में सामान्य 125.6 मिमी के मुकाबले 271.9 मिमी बारिश हुई, जो 116% की वृद्धि दर्शाती है. लद्दाख जैसे कम बारिश वाले क्षेत्र में भी लगभग 97% अधिक बारिश हुई.
कृषि और जल संरक्षण के लिए लाभकारी
मानसून भारत की कृषि व्यवस्था की रीढ़ है, जो देश की 42% आबादी की आजीविका से जुड़ी है और GDP में लगभग 18% योगदान देती है. मानसून न केवल फसल उत्पादन के लिए जरूरी है बल्कि जलाशयों को भरने और जलविद्युत उत्पादन के लिए भी अत्यंत आवश्यक है. मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि इस वर्ष भारत को औसत से अधिक वर्षा प्राप्त होगी, जो जल संकट और कृषि उत्पादन दोनों के लिए राहतभरी खबर हो सकती है.


