एलियन क्या खाते हैं और क्यों इंसानों की जान खतरे में, चौंकाने वाले वैज्ञानिक दावे ने दुनिया हिला दी
नए वैज्ञानिक शोध में दावा किया गया है कि एलियन जीवन रेडियोधर्मी ऊर्जा पर निर्भर हो सकता है, जो इंसानों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है और भविष्य की अंतरिक्ष योजनाओं पर सवाल खड़े करती है।

नई दिल्ली: जब नासा और निजी कंपनियां पृथ्वी से बाहर इंसानी बस्तियां बसाने की तैयारी कर रही हैं, तभी वैज्ञानिकों के एक नए शोध ने चिंता बढ़ा दी है। इस शोध के अनुसार, एलियन जीवन ऐसे ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर हो सकता है जो इंसानों के लिए घातक हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि एलियन जीवों को जीवित रहने के लिए पृथ्वी जैसी परिस्थितियों की जरूरत नहीं होती। वे ठंडी और अंधेरी जगहों पर भी रह सकते हैं। लेकिन जिस तरह की ऊर्जा वे इस्तेमाल करते हैं, वह इंसानी जीवन के लिए खतरनाक हो सकती है।
एलियन आखिर खाते क्या हैं?
शोधकर्ताओं के मुताबिक, एलियन जीवन गैलेक्टिक कॉस्मिक किरणों से मिलने वाली ऊर्जा पर निर्भर हो सकता है। ये किरणें अंतरिक्ष में बहुत तेज गति से फैलती हैं और ग्रहों व चंद्रमाओं की सतह तक पहुंच सकती हैं। जब ये किरणें बर्फ या पानी से टकराती हैं, तो रेडिएशन निकलता है। इससे केमिकल रिएक्शन शुरू होते हैं। इस प्रक्रिया को रेडियोलिसिस कहा जाता है। रेडियोलिसिस के दौरान ऐसे तत्व बनते हैं, जो जीवों के लिए ईंधन का काम कर सकते हैं।
रेडियोलिसिस इंसानों के लिए क्यों खतरनाक है?
वैज्ञानिकों का कहना है कि रेडियोलिसिस से निकलने वाला रेडिएशन इंसानों के लिए बेहद नुकसानदेह है। यह रेडिएशन इंसानी कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। कुछ मामलों में यह जानलेवा भी हो सकता है। शोध में साफ कहा गया है कि जिन जगहों पर इस तरह का जीवन संभव है, वहां इंसानों का रहना सुरक्षित नहीं होगा।
क्या बिना सूरज की रोशनी भी जीवन संभव है?
यह शोध पुराने वैज्ञानिक विचारों को चुनौती देता है। अब तक माना जाता था कि जीवन के लिए सूरज की रोशनी, गर्मी और ऑक्सीजन जरूरी है। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि जीवन अंधेरी और ठंडी जगहों पर भी संभव है। कॉस्मिक किरणें वहां ऊर्जा का काम कर सकती हैं। इसका मतलब है कि ग्रहों या चंद्रमाओं की सतह के नीचे भी जीवन पनप सकता है। वहां न सूरज की रोशनी होगी और न ही इंसानों जैसी परिस्थितियां।
यूरोपा और एन्सेलेडस पर क्या मिला संकेत?
शोधकर्ताओं ने मंगल ग्रह और बृहस्पति व शनि के चंद्रमाओं पर खास ध्यान दिया। इनमें यूरोपा और एन्सेलेडस प्रमुख हैं। ये दोनों चंद्रमा बर्फ से ढके हुए हैं। माना जाता है कि इनके नीचे पानी मौजूद है। वैज्ञानिकों ने यहां इलेक्ट्रॉनों के बनने की प्रक्रिया देखी। इलेक्ट्रॉन ऊर्जा उत्पादन में अहम भूमिका निभाते हैं। इससे संकेत मिलता है कि इन जगहों पर रेडिएशन आधारित जीवन संभव हो सकता है।
पृथ्वी के एक्सट्रीमोफाइल्स क्या बताते हैं?
शोध में पृथ्वी पर पाए जाने वाले एक्सट्रीमोफाइल्स का भी जिक्र है। ये ऐसे जीव होते हैं जो बेहद कठिन परिस्थितियों में भी जीवित रहते हैं। कुछ एक्सट्रीमोफाइल्स ऐसा ईंधन खाते हैं जो इंसानों को मार सकता है। उदाहरण के तौर पर, कैंडिडाटस डेसल्फोरुडिस ऑडैक्सविएटर नाम का बैक्टीरिया यूरेनियम के रेडियोधर्मी क्षय से ऊर्जा लेता है। यह साबित करता है कि जीवन बेहद खतरनाक परिस्थितियों में भी खुद को ढाल सकता है।
यह शोध क्यों बढ़ा रहा है चिंता?
वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर भविष्य में इंसानों का सामना ऐसे एलियन जीवन से होता है, तो वह सुरक्षित नहीं होगा। जिन जगहों पर ऐसे जीव रहते हैं, वहां इंसानों की जान को खतरा हो सकता है। यह शोध भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं और कॉलोनी योजनाओं के लिए चेतावनी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि एलियन जीवन की खोज के साथ-साथ इंसानी सुरक्षा को भी सबसे ऊपर रखना होगा। यह अध्ययन दिखाता है कि अंतरिक्ष में जीवन की खोज जितनी रोमांचक है, उतनी ही खतरनाक भी हो सकती है।


