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ट्रंप ने सर्जियो गोर को नियुक्त किया नया राजदूत, भारत के लिए वरदान या संकट... जानें कितने ताकतवर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सर्जियो गोर को भारत में अमेरिका का राजदूत नियुक्त करने की घोषणा की है. गोर को पहली बार भारत के साथ-साथ दक्षिण और मध्य एशिया के लिए विशेष दूत (स्पेशल एन्वॉय) की भी जिम्मेदारी दी गई है. इस दोहरी भूमिका से भारत की चिंता बढ़ी है क्योंकि इससे भारत-पाक को एक साथ देखने की नीति को बढ़ावा मिल सकता है. फिलहाल नियुक्ति को सीनेट की मंजूरी मिलना बाकी है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

Sergio Gor US Ambassador to India : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सर्जियो गोर को भारत में अमेरिका का नया राजदूत बनाने की घोषणा की है. फिलहाल गोर व्हाइट हाउस में प्रेसिडेंशियल पर्सनल अपॉइंटमेंट्स के प्रमुख हैं और ट्रंप के सबसे करीबी और भरोसेमंद सहयोगियों में से एक माने जाते हैं. हालांकि, उनकी नई भूमिका पर काम शुरू करने से पहले उन्हें अमेरिकी सीनेट से मंजूरी मिलनी बाकी है. जब तक यह मंजूरी नहीं मिलती, तब तक वह अपने वर्तमान पद पर बने रहेंगे. 

भारत ही नहीं, पूरे दक्षिण और मध्य एशिया...

आपको बता दें कि सर्जियो गोर को भारत में अमेरिकी राजदूत बनाए जाने के साथ-साथ "स्पेशल एन्वॉय" (विशेष दूत) का भी दर्जा दिया गया है. इसका मतलब यह है कि वह न केवल भारत में अमेरिका के प्रतिनिधि होंगे, बल्कि दक्षिण और मध्य एशिया के अन्य देशों जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश आदि के साथ अमेरिका के संबंधों की निगरानी और समन्वय का भी जिम्मा संभालेंगे. यह भूमिका किसी अमेरिकी राजदूत को पहली बार दी जा रही है, जिससे गोर अब तक के सबसे शक्तिशाली अमेरिकी राजदूत माने जा रहे हैं.
 

क्यों बढ़ी है भारत की चिंता?
भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने इस नियुक्ति को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा भारत और पाकिस्तान को एक साथ जोड़कर देखना भारत की हमेशा से आपत्ति का कारण रहा है. 2009 में जब अमेरिका ने रिचर्ड होलब्रुक को भारत-पाक के लिए विशेष दूत नियुक्त किया था, तब भारत ने स्पष्ट रूप से इसका विरोध किया था.
भारत के लिए सीधा विरोध जताना मुश्किल
लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है. अब जब भारत में तैनात अमेरिकी राजदूत को ही अतिरिक्त क्षेत्रीय जिम्मेदारियां दी जा रही हैं, तो भारत के लिए सीधा विरोध जताना मुश्किल हो सकता है. इस कदम से भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति पर भी असर पड़ सकता है क्योंकि अमेरिकी ध्यान अब व्यापक क्षेत्र में बंट सकता है.

सर्जियो गोर का जीवन परिचय
सर्जियो गोर का जन्म उज्बेकिस्तान में हुआ था, जब वह क्षेत्र सोवियत संघ का हिस्सा था. बाद में उनका परिवार माल्टा चला गया. गोर ने अपनी पढ़ाई अमेरिका में पूरी की और फिर रिपब्लिकन पार्टी की राजनीति में सक्रिय हो गए. उन्होंने अमेरिकी सीनेटर रैंड पॉल के साथ लंबे समय तक काम किया. इसके अलावा उन्होंने फंडरेजिंग, पब्लिशिंग और यहां तक कि शौकिया तौर पर डीजे के रूप में भी काम किया है. ट्रंप के साथ उनकी नजदीकी लंबे समय से बनी हुई है, और यही वजह है कि उन्हें यह महत्वपूर्ण भूमिका सौंपी गई है.

सीनेट की मंजूरी मिलना अभी बाकी
हालांकि, अभी यह नियुक्ति अस्थायी है क्योंकि अमेरिकी सीनेट की मंजूरी के बिना वह आधिकारिक रूप से भारत में राजदूत का कार्यभार नहीं संभाल सकते. तब तक वह अपने वर्तमान पद पर काम करते रहेंगे.

तनाव के समय में गोर की नियुक्ति
सर्जियो गोर की नियुक्ति ऐसे समय में हो रही है जब भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ और व्यापारिक मुद्दों को लेकर तनाव बढ़ा हुआ है. उनके पास अब न केवल राजनयिक जिम्मेदारी होगी बल्कि पूरे क्षेत्रीय दृष्टिकोण से अमेरिका की रणनीति को लागू करने का दायित्व भी रहेगा. यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस नियुक्ति को कैसे देखता है और इसके दीर्घकालिक प्रभाव क्या होंगे.

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23 August 2025, 05:26 PM IST

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