दो लोग आए थे मिलने, 288 में से 160 सीटें जिताने की दी थी गारंटी... शरद पवार का बड़ा खुलासा
शरद पवार ने खुलासा किया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले दो लोग उनसे दिल्ली में मिले और 288 में से 160 सीटें जिताने की गारंटी दी. उन्होंने यह प्रस्ताव राहुल गांधी के सामने भी रखा, लेकिन दोनों नेताओं ने इसे खारिज कर दिया. पवार ने कहा कि यह उनका रास्ता नहीं है और उन्होंने चुनाव आयोग पर सीधा शक नहीं जताया, लेकिन नैतिक राजनीति पर जोर दिया.

NCP-SCP chief Sharad Pawar : महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और एनसीपी-एससीपी प्रमुख शरद पवार ने एक चौंकाने वाला बयान देते हुए दावा किया है कि राज्य विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें 288 में से 160 सीटें जिताने की गारंटी दी गई थी. पवार ने यह खुलासा ऐसे समय में किया है जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं. नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान पवार ने कहा कि चुनाव की घोषणा से पहले दिल्ली में दो लोग उनसे मिलने आए थे. उन्होंने दावा किया कि वे 160 सीटें जिताने की गारंटी दे सकते हैं.
राहुल गांधी के साथ साझा की बात
Nagpur, Maharashtra | NCP-SCP chief Sharad Pawar says, "I remember that before the Maharashtra Assembly elections were announced, two people came to meet me in Delhi... They told me that out of 288 seats in Maharashtra, we guarantee you 160 seats. I was surprised, to be honest, I… pic.twitter.com/0GdXL9bDOR
— ANI (@ANI) August 9, 2025
चुनाव आयोग पर सवाल उठाने से इनकार
इस पूरे घटनाक्रम के बावजूद शरद पवार ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर कोई सीधा आरोप नहीं लगाया. उन्होंने कहा कि उन्हें चुनाव आयोग पर कोई शक नहीं है, लेकिन यह जरूर माना कि इस तरह की बातचीत लोकतंत्र के लिए गंभीर संकेत हैं. उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब विपक्ष लगातार चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर रहा है.
राजनीति में नैतिकता का संदेश
शरद पवार के इस इनकार ने एक बार फिर राजनीति में नैतिक मूल्यों की चर्चा को जन्म दिया है. उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की है कि सत्ता पाने के लिए हर रास्ता स्वीकार्य नहीं होता. हालांकि इस खुलासे ने यह भी सवाल खड़ा कर दिया है कि वे लोग कौन थे जो चुनावी नतीजों को प्रभावित करने का दावा कर रहे थे, और क्या इस मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए.


