हद है भाई ! नोएडा अथॉरिटी के अफसरों ने पूर्व चीफ जस्टिस से मांगी घूस, कहा- ये दिल्ली नहीं, यूपी है...
Noida Authority officials demand bribe : जस्टिस लीला सेठ साल 1992 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की कुर्सी से रिटायर हुईं. लीला सेठ ने अपनी आत्मकथा "घर और अदालत : एक महिला चीफ जस्टिस की कलम से" लिखी है इसको पेंगुइन ने प्रकाशित किया है.
हाइलाइट
- जस्टिस लीला सेठ साल 1992 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की कुर्सी से रिटायर हुई हैं.
- लीला सेठ ने अपनी आत्मकथा "घर और अदालत : एक महिला चीफ जस्टिस की कलम से" लिखी है.
- लीला सेठ ने अपनी आत्मकथा में लिखा, नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने घर का कंप्लीशन सर्टिफिकेट लेने के लिए घूस मांगी.
Noida Authority officials demand bribe : मशहूर उपन्यासकार विक्रम सेठ की मां लीला सेठ (Leela Seth) देश की पहली महिला जज बनीं और हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस की कुर्सी तक पहुंची. जस्टिस लीला सेठ साल 1992 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की कुर्सी से रिटायर हुईं. लीला सेठ ने अपनी आत्मकथा "घर और अदालत : एक महिला चीफ जस्टिस की कलम से" लिखी है इसको पेंगुइन ने प्रकाशित किया है. इसमें उन्होंने नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों के द्वारा घूस लेने के वाकये को का जिक्र किया है. उन्होंने सिलसिलेवार ढंग से इस घटना के बारे में बयां किया है और बताया कि पूर्व जज होने के बावजूद उनसे रिश्वत की मांग की गई.
लीला सेठ ने अपनी किताब में लिखा मैंने सेवानिवृत्ति से ठीक पहले दिल्ली-एनसीआर में अपने लिए रहने का ठिकाना ढूंढना शुरू किया और नोएडा पसंद आया. 1990 के आसपास जब वह नोएडा में मकान बनवाने लगीं तो नोएडा अथॉरिटी के अफसर लीला सेठ से खुलेआम रिश्वत मांगने लगे. संदेश भेजवाया कि हम कैबिनेट सेक्रेटरी से लेकर राजदूत तक को नहीं छोड़ते.
क्या है पूरी कहानी?
अधिकारी बोले यह दिल्ली नहीं, उत्तर प्रदेश है…
कुछ दिन आनाकानी करने के बाद नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने उनके आर्किटेक्ट के जरिए रिश्वत की मांग की. लीला सेठ ने जब अफसर को मैसेज भिजवाया कि वह दिल्ली हाईकोर्ट की पूर्व जज हैं. जस्टिस लीला सेठ लिखती हैं कि यह मैसेज करवाने के बावजूद नोएडा प्राधिकरण के अफसरों पर कोई असर नहीं पड़ा. बल्कि उन्होंने उल्टा मैसेज करवाया कि ‘यह दिल्ली नहीं…उत्तर प्रदेश है. खुद को समझती क्या हैं? यहां तो कैबिनेट सचिव से लेकर राजदूत जैसे लोगों की नहीं चलती.