score Card

'अगर 30 ट्रिलियन की इकोनॉमी चाहिए, तो हफ्ते में 90 घंटे काम करना होगा!' बोले- नीति आयोग के पूर्व CEO अमिताभ कांत

नीति आयोग के पूर्व CEO और G-20 शेरपा अमिताभ कांत ने हाल ही में वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर चल रही बहस में बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि भारत को अगर आर्थिक महाशक्ति बनना है, तो लोगों को ज्यादा मेहनत करनी होगी, चाहे हफ्ते में 80-90 घंटे ही क्यों न काम करना पड़े. उन्होंने जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों की मिसाल दी और कहा कि वहां की तरक्की की वजह भी उनकी जबरदस्त वर्क एथिक ही है. लेकिन क्या हफ्ते में इतने घंटे काम करना वाकई सही है? या फिर वर्क-लाइफ बैलेंस भी जरूरी है? पूरी खबर पढ़िए और जानिए अमिताभ कांत ने क्या कहा!

Aprajita
Edited By: Aprajita

Niti Aayog CEO Amitabh kant Statement: भारत में इन दिनों काम और आराम के बीच संतुलन को लेकर खूब बहस चल रही है. कोई कहता है कि ज्यादा काम करने से ही देश आगे बढ़ेगा, तो कोई कहता है कि वर्क-लाइफ बैलेंस भी जरूरी है. इसी चर्चा के बीच नीति आयोग के पूर्व CEO और भारत के G-20 शेरपा अमिताभ कांत भी कूद पड़े हैं. उन्होंने साफ कहा कि अगर भारत को 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है, तो देश के लोगों को "वर्क-लाइफ बैलेंस" छोड़कर मेहनत पर फोकस करना होगा.

'हफ्ते में 80-90 घंटे काम करो!'

एक बिजनेस इवेंट में बोलते हुए अमिताभ कांत ने कहा कि आजकल कम काम करने की बातें करना "फैशन" बन गया है. उन्होंने कहा, "मैं कड़ी मेहनत में यकीन करता हूं. अगर हमें 4 ट्रिलियन डॉलर से 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है, तो हमें हफ्ते में 80-90 घंटे काम करना होगा. यह सब सिर्फ एंटरटेनमेंट और फिल्मी सितारों की सलाह मानकर नहीं होगा."

दूसरे देशों से की भारत की तुलना

अमिताभ कांत ने जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां के लोग बहुत ज्यादा मेहनत करते हैं और यही वजह है कि वे आज विकसित देश बन चुके हैं. उन्होंने कहा कि भारत को भी अगर वर्ल्ड-क्लास ग्रोथ चाहिए, तो उसे इसी तरह की मेंटलिटी अपनानी होगी.

'काम और लाइफ बैलेंस किया जा सकता है'

कांत ने यह भी कहा कि ज्यादा काम करने का मतलब यह नहीं कि लोग अपनी जिंदगी एंजॉय नहीं कर सकते. उन्होंने अपनी लाइफ का उदाहरण देते हुए कहा,
"मैं रोज काम करता हूं, एक्सरसाइज करता हूं, गोल्फ खेलता हूं और फिर भी कड़ी मेहनत करता हूं. अगर आप दिन में 1.5 घंटे अपने लिए निकालते हैं, तब भी आपके पास 22.5 घंटे बाकी रहते हैं, जिसमें आप अपने काम और लाइफ का बैलेंस बना सकते हैं."

पहले भी कई दिग्गजों ने की थी ऐसी बात

लंबे वर्किंग आवर्स पर यह बहस तब तेज हुई थी जब L&T के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यन और इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने भारतीयों से ज्यादा घंटे काम करने की अपील की थी. पिछले साल नारायण मूर्ति ने कहा था कि भारत को वर्ल्ड-क्लास बनने के लिए लोगों को हफ्ते में 70 घंटे तक काम करना चाहिए.

एलन मस्क का भी ऐसा ही दावा

सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में इस मुद्दे पर चर्चा हो रही है. हाल ही में टेस्ला और स्पेसएक्स के CEO एलन मस्क ने भी दावा किया था कि उनकी कंपनियों में कुछ कर्मचारी हफ्ते में 120 घंटे तक काम करते हैं. मस्क ने तो यह भी कहा था कि वीकेंड पर काम करना किसी "सुपरपावर" से कम नहीं. अब देखना यह है कि भारत में लोग इस सोच को अपनाते हैं या फिर वर्क-लाइफ बैलेंस को ज्यादा अहमियत देते हैं. आप इस बहस में किसके साथ हैं? ज्यादा काम या बैलेंस लाइफ?

calender
01 March 2025, 11:47 PM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag