'हम एक साथ नहीं रह सकते', कुकी विधायकों ने PM मोदी से की अलग प्रशासन की मांग
कुकी समुदाय के विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक अहम मांग उठाई है. उनका कहना है कि कुकी और मैतेई समुदाय पड़ोसियों की तरह तो साथ रह सकते हैं लेकिन एक ही छत के नीचे नहीं. इसलिए उन्होंने कुकी आदिवासियों के लिए एक अलग केंद्रशासित प्रदेश (यूटी) बनाने की अपील की है ताकि उनकी पहचान और हितों की रक्षा हो सके.

PM Narendra Modi Manipur Visit: मणिपुर में दो वर्षों से चली आ रही जातीय हिंसा के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है. राज्य के चुराचांदपुर इलाके में पहुंचे प्रधानमंत्री का जहां एक ओर गर्मजोशी से स्वागत किया गया, वहीं दूसरी ओर कुकी-जो आदिवासी समुदाय के विधायकों ने अलग प्रशासन की मांग को जोर-शोर से उठाया.
प्रधानमंत्री को सौंपे गए ज्ञापन में इन विधायकों ने स्पष्ट रूप से कहा कि वर्तमान हालात में आदिवासी समुदाय घाटी क्षेत्र में सुरक्षित नहीं है, और वे अब बहुसंख्यक समुदाय के साथ एक ही प्रशासनिक ढांचे में नहीं रह सकते. उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की कि उनकी मांगों पर तत्काल विचार कर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश या प्रशासनिक व्यवस्था की प्रक्रिया को तेज किया जाए.
कुकी विधायकों की मांग
कुकी-जो समुदाय से जुड़े विधायकों ने अपने ज्ञापन में लिखा कि चुराचांदपुर की इस पहली यात्रा पर हम आपका दिल से स्वागत करते हैं. आपके आगमन के बाद हमें बड़े राजनीतिक बदलाव की आशा है. आपको पता है कि मणिपुर की घाटी से हमारे लोगों को जबरन निकाला गया और उन पर गंभीर अत्याचार किए गए. बहुसंख्यक समुदाय ने आदिवासियों पर हिंसा और दमन का कहर ढाया है.
इन विधायकों ने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा कि अब दोनों समुदाय केवल अच्छे पड़ोसी की तरह रह सकते हैं, लेकिन फिर कभी एक ही छत के नीचे नहीं रह सकते. इसके साथ ही उन्होंने मांग की प्रधानमंत्री से निवेदन है कि विधानसभा के साथ एक अलग केंद्र शासित प्रदेश की हमारी मांग को लेकर वार्ता की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए. हमारा विश्वास है कि यही एकमात्र रास्ता है जिससे हमारे समुदाय को स्थायी शांति, सुरक्षा, न्याय और अपनापन मिल सकता है.
अलग प्रशासन की मांग
2023 में भी कुकी समुदाय से संबंधित 10 आदिवासी विधायकों ने केंद्र सरकार से यही मांग उठाई थी कि मणिपुर में आदिवासी क्षेत्रों के लिए एक अलग प्रशासनिक ढांचा तैयार किया जाए. यह मांग उस समय राज्य में हुई हिंसक झड़पों के बाद की गई थी, जब दो समुदायों के बीच तनाव चरम पर था.
पीएम मोदी का संदेश
मणिपुर दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति और एकता का संदेश दिया. उन्होंने कहा कि मणिपुर 'भारत माता' के मुकुट को सुशोभित करने वाला रत्न है. यहां किसी भी प्रकार की हिंसा निंदनीय है. यह न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के साथ घोर अन्याय भी है. हमें मिलकर मणिपुर को शांति और विकास के रास्ते पर आगे ले जाना होगा. राज्य में शांति पर कोई समझौता नहीं हो सकता और यह केवल बातचीत और एकता से ही हासिल की जा सकती है. प्रधानमंत्री ने राज्य की क्षमताओं को रेखांकित करते हुए कहा कि मणिपुर में अपार संभावनाएं हैं लेकिन हिंसा हमारे सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करती है. केवल शांति और सद्भाव ही राज्य को पूर्वोत्तर भारत के मुकुट का वास्तविक रत्न बना सकते हैं.
मणिपुर की सामाजिक संरचना
मणिपुर की भौगोलिक और सामाजिक संरचना में भी एक गहरी खाई देखी जाती है. मेइती समुदाय इंफाल घाटी में निवास करता है, जबकि कुकी समुदाय और अन्य आदिवासी समूह पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं. यही विभाजन राज्य में होने वाले जातीय संघर्षों की जड़ में भी है.
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा मणिपुर में शांति की बहाली के प्रयासों को एक नई दिशा दे सकती है. हालांकि कुकी विधायकों की मांगों ने एक बार फिर राज्य के भविष्य को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. अब यह देखना होगा कि केंद्र सरकार इन संवेदनशील मांगों पर क्या रुख अपनाती है और क्या कोई ऐसा समाधान निकल पाता है जिससे राज्य में स्थायी शांति बहाल की जा सके.


