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कौन होगा नरेंद्र मोदी का उत्तराधिकारी? जब मोहन भागवत से किया गया सवाल, मिला यह जवाब

मोहन भागवत ने चेन्नई में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के उत्तराधिकारी पर निर्णय भाजपा और स्वयं मोदी ही लेंगे, संघ इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगा. उन्होंने सामाजिक एकता, जाति-भाषा विभाजन खत्म करने और जनता के साथ संवाद बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

चेन्नईः चेन्नई में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष समारोह के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत से जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संभावित उत्तराधिकारी को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने इस बहस में खुद को शामिल करने से स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया. भागवत ने साफ कहा कि यह मसला भाजपा और स्वयं नरेंद्र मोदी के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए इस बारे में संघ राय नहीं देगा.

प्रश्न पूछा गया कि मोदी के बाद देश का नेतृत्व कौन संभालेगा? इस पर भागवत ने विनम्रता से जवाब दिया और कहा कि कुछ सवाल मेरे दायरे से बाहर हैं, इसलिए इस पर मुझे कुछ कहना उचित नहीं है. मैं सिर्फ शुभकामनाएं दे सकता हूं. नरेंद्र मोदी के बाद कौन, यह पूरी तरह मोदी जी और भाजपा तय करेगी.

भागवत के बयान से छिड़ी नई बहस

यह बयान राजनीतिक हलकों में इस संकेत के रूप में देखा जा रहा है कि संघ भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन या उत्तराधिकार की भविष्यवाणी पर कोई भूमिका नहीं निभाना चाहता, जबकि यह मुद्दा हाल के महीनों में राजनीतिक बहस का विषय बना हुआ है.

नेतृत्व बहस से दूरी

भागवत चेन्नई में RSS के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में शामिल थे. उनका यह बयान 9 दिसंबर को सामने आया. उन्होंने कहा कि संघ की प्राथमिकता नेतृत्व बहस में शामिल होना नहीं बल्कि संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाना है.

उन्होंने कहा कि अगर भारत को विश्वगुरु के रूप में उभरना है तो आंतरिक सामाजिक विभाजनों को मिटाना होगा. हमारा लक्ष्य है कि आरएसएस की पहुंच देशभर में एक लाख से अधिक स्थानों तक हो. जाति और भाषा के आधार पर बने विभाजनों को खत्म करना होगा. जब समाज एकजुट होगा तभी भारत विश्वगुरु बन सकेगा.

भागवत ने यह भी कहा कि सामाजिक समरसता संघ के मुख्य उद्देश्यों में से एक है और इस दिशा में अलग-अलग राज्यों में बड़े पैमाने पर कार्य चल रहा है.

जनता के साथ संवाद बढ़ाने पर संघ का फोकस

तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुए एक अन्य कार्यक्रम ‘संघ की 100 वर्ष की यात्रा नए क्षितिज में भी भागवत ने संवाद की जरूरत पर जोर दिया. उनका कहना था कि जनता को संघ के बारे में सटीक जानकारी मिले, इसके लिए अधिक खुला और व्यापक संपर्क अभियान शुरू किया गया है. भागवत ने स्वीकार किया कि लोगों की संघ को लेकर राय अक्सर धारणाओं पर आधारित होती है, न कि तथ्यों पर.

गलतफहमियां दूर हों

उन्होंने कहा कि पिछले 10–15 वर्षों से संघ लगातार चर्चा का विषय रहा है. लेकिन यह चर्चा तथ्यों से ज्यादा धारणाओं पर आधारित रही. इसलिए हमने संवाद की प्रक्रिया को मजबूत करने का फैसला किया है, ताकि स्वयंसेवक लोगों से सीधे बातचीत करें और सही जानकारी साझा करें.

भागवत ने कहा कि संघ के 100 वर्षों की यात्रा केवल संगठन के विस्तार का नहीं, बल्कि समाज में विभिन्न स्तरों पर किए गए कार्यों का भी इतिहास है. इसलिए आने वाले वर्षों में जनता के साथ संपर्क और संवाद को और गहरा किया जाएगा, ताकि गलतफहमियों को दूर किया जा सके.

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11 December 2025, 01:50 PM IST

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