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संसद भवन के उद्घाटन में असली गाय क्यों नहीं ले गए PM मोदी... सेंगोल को लेकर भी शंकराचार्य ने उठाए सवाल

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने नए संसद भवन में गाय की प्रतीकात्मक उपस्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि असली गाय को भी भवन में लाया जाना चाहिए था. उन्होंने गौसम्मान के लिए प्रोटोकॉल तैयार करने, हर विधानसभा क्षेत्र में रामधाम (गौशाला) की स्थापना और गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग की. साथ ही भाषा विवाद पर संतुलित दृष्टिकोण रखते हुए मालेगांव विस्फोट में निष्पक्ष न्याय की भी अपील की.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने हाल ही में एक अहम मांग रखी है, जिसमें उन्होंने कहा कि सेंट्रल विस्टा के अंतर्गत बने नए संसद भवन के उद्घाटन के दौरान उसमें एक जीवित गाय को भी ले जाया जाना चाहिए था. उन्होंने यह बात रविवार को संवाददाताओं से बात करते हुए कही.

सेंगोल पर है गाय की आकृति, तो असली गाय...

शंकराचार्य ने सवाल उठाया कि जब नए संसद भवन में सेंगोल ले जाया गया, जिस पर गाय की आकृति बनी हुई है, तो फिर एक असली गाय को अंदर क्यों नहीं लाया गया? उन्होंने कहा कि गाय को भारतीय परंपरा में शुभ माना जाता है और उसका आशीर्वाद संसद भवन व प्रधानमंत्री दोनों को मिलना चाहिए था.

गाय का आशीर्वाद जरूरी, पूरे देश से लाएंगे 
शंकराचार्य ने कहा, "अगर अब भी समय रहते कोई कदम नहीं उठाया गया, तो हम देशभर से गायों को लाकर संसद भवन में ले जाएंगे, ताकि यह भवन गौमाता का आशीर्वाद पा सके."

गौ सम्मान के लिए प्रोटोकॉल बनाने की मांग

उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से भी मांग की कि गौ सम्मान पर एक स्पष्ट प्रोटोकॉल तैयार किया जाए. उन्होंने कहा, "आज तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि गाय का सम्मान कैसे किया जाए. एक औपचारिक नियमावली बननी चाहिए, जिसका सभी लोग पालन करें और उसका उल्लंघन करने पर सजा भी तय हो."

हर विधानसभा क्षेत्र में "रामधाम" की स्थापना 
शंकराचार्य ने आगे कहा कि देश के हर विधानसभा क्षेत्र में एक “रामधाम” होना चाहिए, जिसमें कम से कम 100 गायों की देखभाल की जा सके. उनका मानना है कि इससे न केवल गौसंरक्षण होगा, बल्कि सांस्कृतिक मूल्यों का भी संरक्षण होगा.

गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने की भी मांग
धर्म संसद में शंकराचार्य ने होशंगाबाद के सांसद दर्शन सिंह चौधरी की प्रशंसा करते हुए एक प्रस्ताव भी पारित किया. चौधरी ने गाय को "राष्ट्रमाता" घोषित करने की मांग की थी, जिसे शंकराचार्य का पूरा समर्थन मिला.

भाषा विवाद पर भी रखी राय
मराठी बनाम हिंदी विवाद पर शंकराचार्य ने कहा कि हिंदी को प्रशासनिक भाषा के रूप में पहले मान्यता मिली थी और मराठी को राज्य निर्माण के बाद. उन्होंने बताया कि हिंदी और मराठी दोनों ही भाषाएं कई बोलियों से बनी हैं, इसलिए किसी एक को लेकर विवाद करना सही नहीं है.

मालेगांव विस्फोट मामले में निष्पक्ष न्याय की मांग
शंकराचार्य ने मालेगांव विस्फोट मामले पर भी प्रतिक्रिया दी और कहा कि असली दोषियों को सजा मिलनी चाहिए. उन्होंने यह भी जोड़ा कि किसी भी तरह की हिंसा को आपराधिक कृत्य माना जाना चाहिए और समाज में शांति बनाए रखनी चाहिए.

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का यह बयान संसद भवन के उद्घाटन में भारतीय परंपराओं और संस्कृति की भूमिका को लेकर नई बहस को जन्म देता है. उनकी मांगें धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक संरक्षण और गौसंरक्षण से जुड़ी हुई हैं, जो एक विशेष वर्ग के लिए भावनात्मक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं.

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04 August 2025, 06:30 PM IST

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