गणतंत्र दिवस पर क्यों दी जाती है 21 तोपों से सलामी, जानें कहां से आई ये परंपरा?
Republic Day 2025: भारत में गणतंत्र दिवस का आयोजन हर साल 26 जनवरी को बड़े उत्साह के साथ होता है. इस दिन तिरंगा फहराने के साथ 21 तोपों की सलामी दी जाती है, जो राष्ट्र के सर्वोच्च सम्मान का प्रतीक है. यह परंपरा देश की संप्रभुता और शौर्य का प्रतीक है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सलामी का इतिहास और महत्व क्या है? आइए, इस परंपरा की खास बातें जानें.

Republic Day 2025: भारत में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस का आयोजन धूमधाम से किया जाता है. इस दिन देश के राष्ट्रपति तिरंगा फहराते हैं और 21 तोपों की सलामी दी जाती है. यह परंपरा न केवल हमारी गौरवशाली विरासत को दर्शाती है, बल्कि भारत की सामरिक और सांस्कृतिक शक्ति का प्रतीक भी है. 21 तोपों की सलामी का यह सम्मान राष्ट्रपति, विदेशी राष्ट्राध्यक्षों और अन्य विशेष अवसरों पर दिया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह परंपरा कैसे शुरू हुई? और इसमें कितनी तोपों का इस्तेमाल होता है? आइए, इस गौरवशाली परंपरा के हर पहलू को विस्तार से जानते हैं.
26 जनवरी 1950 को जब भारत ने अपना संविधान लागू किया, तब पहली बार राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने शपथ ली. उन्होंने पुरानी संसद के दरबार हॉल में शपथ ग्रहण करने के बाद इरविन स्टेडियम (अब मेजर ध्यानचंद स्टेडियम) में तिरंगा फहराया. उस समय 21 तोपों की सलामी दी गई थी. हालांकि, कुछ इतिहासकारों के अनुसार, शुरुआत में 31 तोपों की सलामी दी गई थी, जिसे 1971 में घटाकर 21 कर दिया गया. यह संख्या तब से मानक बन गई और इस सलामी को भारत का सर्वोच्च सम्मान माना जाने लगा.
क्यों दी जाती है 21 तोपों की सलामी?
गणतंत्र दिवस पर 21 तोपों की सलामी एक प्रतीकात्मक सम्मान है, जो राष्ट्रीय गर्व और संप्रभुता को दर्शाता है. यह परंपरा ब्रिटिश काल से चली आ रही है. स्वतंत्रता के बाद इसे गणतंत्र दिवस समारोह का हिस्सा बना दिया गया. इस सलामी को राष्ट्रगान के साथ समन्वयित किया जाता है, जो 52 सेकंड में पूरा होता है.
सलामी में कितनी तोपों का होता है इस्तेमाल?
हालांकि इसे "21 तोपों की सलामी" कहा जाता है, लेकिन इसमें केवल 7 तोपों का इस्तेमाल किया जाता है. हर तोप से तीन गोले दागे जाते हैं, जिससे कुल 21 फायर पूरे होते हैं. इसके अलावा एक अतिरिक्त तोप रिजर्व में रहती है. इस पूरी प्रक्रिया को मेरठ में स्थित एक विशेष सैन्य दल संचालित करता है, जिसमें 122 जवान शामिल होते हैं.
सलामी के लिए विशेष गोले
21 तोपों की सलामी के लिए जो गोले इस्तेमाल किए जाते हैं, वे खासतौर पर इस समारोह के लिए बनाए जाते हैं. ये गोले केवल ध्वनि और धुआं उत्पन्न करते हैं, जिससे कोई नुकसान नहीं होता. यह सुनिश्चित करता है कि यह सम्मानजनक प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित रहे.
किन अवसरों पर दी जाती है 21 तोपों की सलामी?
21 तोपों की सलामी न केवल गणतंत्र दिवस पर दी जाती है, बल्कि स्वतंत्रता दिवस, नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण और विदेशी राष्ट्राध्यक्षों के स्वागत जैसे विशेष अवसरों पर भी दी जाती है. इसे राष्ट्र के प्रति उच्चतम सम्मान का प्रतीक माना जाता है.


