'पांच मिनट में आरोप गलत', अमेरिका की पूर्व डिप्लोमैट का दोहरा रवैया
पहलगाम आतंकी हमले पर अमेरिका की पूर्व सहायक विदेश मंत्री रॉबिन राफेल ने पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के हमले की स्वतंत्र विशेषज्ञों से जांच करवाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है. उन्होंने घटना के तुरंत बाद पाकिस्तान पर आरोप लगाने को गलत बताया और तनाव कम करने की अपील की.

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली व्यक्ति की मौत हो गई थी, जबकि कई अन्य घायल हुए थे. इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन टीआरएफ (The Resistance Front) ने ली थी. हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ गया है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भारत को व्यापक समर्थन मिल रहा है, लेकिन चीन और तुर्की जैसे देशों ने पाकिस्तान के पक्ष में खड़े होकर अपने रुख को स्पष्ट कर दिया है.
इस बीच अमेरिका की पूर्व सहायक विदेश मंत्री और दक्षिण एशिया मामलों की विशेषज्ञ रह चुकीं रॉबिन राफेल ने एक बयान देकर नया विवाद खड़ा कर दिया है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में ‘कैपिटल टॉक’ कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि घटना के कुछ ही मिनटों बाद किसी देश या संगठन पर सीधे तौर पर आरोप लगाना अनुचित है. उन्होंने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के उस प्रस्ताव का समर्थन किया जिसमें उन्होंने घटना की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की पेशकश की थी. राफेल ने इसे "पॉजिटिव स्टेप" बताया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह भारत-पाक तनाव को कम करने के लिए पहल करे.
हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ की
राफेल का यह बयान भारत में आलोचना का विषय बन गया है. भारतीय विश्लेषकों और नागरिकों का मानना है कि जब टीआरएफ ने हमले की जिम्मेदारी खुद ले ली है, तब भी पाकिस्तान का समर्थन करना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि इसे भारत विरोधी मानसिकता भी माना जा रहा है. वहीं चीन ने पाकिस्तान की संप्रभुता और सुरक्षा हितों की रक्षा में उसे समर्थन देने की बात कही है, जिससे क्षेत्रीय भू-राजनीति और अधिक जटिल हो गई है. तुर्की ने भी पाकिस्तान के प्रति नरम रुख दिखाया है.
फिर भी PAK का बचाव क्यों कर रहीं रॉबिन राफेल
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस तनाव पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि भारत और पाकिस्तान कश्मीर को लेकर ‘1,000 सालों’ से संघर्ष कर रहे हैं और सीमा विवाद भी ‘1,500 सालों’ पुराना है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें विश्वास है कि दोनों देश आपसी समाधान निकाल सकते हैं.


