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'देशद्रोहियों के खिलाफ स्पाईवेयर का इस्तेमाल गलत नहीं', Pegasus विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

Supreme Court on Pegasus Row: सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर सरकार राष्ट्रविरोधी तत्वों पर निगरानी के लिए स्पाईवेयर का इस्तेमाल करती है, तो उसमें कोई बुराई नहीं है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि असली चिंता इस बात की है कि यह तकनीक किसके खिलाफ और कैसे इस्तेमाल हो रही है.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Supreme Court on Pegasus Row: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पेगासस जासूसी केस की सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि यदि राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनज़र सरकार स्पाईवेयर रखती है, तो उसमें कोई आपत्ति नहीं है. कोर्ट ने यह भी कहा कि असली मुद्दा यह है कि इस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किसके खिलाफ किया जा रहा है. अदालत ने जोर देकर कहा कि अगर इसका प्रयोग आम नागरिकों या निर्दोष लोगों पर हुआ है, तो उसपर गंभीरता से विचार किया जाएगा.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता और ऐसी रिपोर्टें जो सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ी हों, उन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता. यह टिप्पणी उस समय आई जब वरिष्ठ वकील दिनेश द्विवेदी ने सवाल उठाया कि क्या सरकार ने पेगासस स्पाईवेयर खरीदा और उसका इस्तेमाल किया.

देश की सुरक्षा सर्वोपरि: सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "अगर देश स्पाईवेयर का इस्तेमाल कर रहा है तो इसमें गलत क्या है? स्पाईवेयर रखना गलत नहीं है, सवाल यह है कि इसका इस्तेमाल किन लोगों के खिलाफ किया जा रहा है. हम देश की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं कर सकते." यह बयान अदालत में दिए गए उस तर्क के जवाब में था जिसमें पेगासस के कथित इस्तेमाल की जांच की मांग की गई थी.

नागरिकों की निजता बनी रहेगी संरक्षित

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "आतंकवादी निजता के अधिकार का दावा नहीं कर सकते." इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने स्पष्ट किया, "एक आम नागरिक, जिसके पास निजता का संवैधानिक अधिकार है, उसकी रक्षा की जाएगी." यह स्पष्ट संकेत था कि अदालत आम नागरिकों की निजता को सर्वोपरि मानती है.

विदेशी अदालत के फैसले का हवाला

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने एक याचिकाकर्ता की ओर से दलील पेश करते हुए अमेरिका की एक जिला अदालत के उस फैसले का जिक्र किया, जिसमें इजराइली कंपनी NSO ग्रुप को WhatsApp में पेगासस सॉफ्टवेयर से सेंध लगाने का दोषी ठहराया गया था. सिब्बल ने कहा कि इस फैसले में भारत को भी उन देशों में शामिल किया गया था, जो इस साइबर हमले से प्रभावित हुए थे.

सार्वजनिक नहीं की जाएगी रिपोर्ट

जस्टिस सूर्यकांत ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मामले पर एक विस्तृत निर्णय दे चुका है और जांच के लिए जस्टिस रविंद्रन के नेतृत्व में एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी. अदालत ने कहा कि इस तकनीकी समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे यह संवेदनशील मामला सड़कछाप बहस का विषय बन जाएगा. कोर्ट ने कहा, "हां, व्यक्तिगत चिंता का समाधान होना चाहिए, लेकिन इसे सड़कों पर चर्चा का दस्तावेज नहीं बनाया जा सकता."

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29 April 2025, 01:27 PM IST

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