'पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बना बलूचिस्तान, नहीं है कोई कंट्रोल', पूर्व पीएम के दावे ने बढ़ाई पाक आर्मी की टेंशन
पूर्व पाक प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने बलूचिस्तान की बिगड़ती स्थिति को लेकर चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि प्रांत में सरकार का नियंत्रण खत्म हो रहा है और मंत्री तक अंधेरे में बाहर निकलने से डरते हैं. सेना प्रमुख के 1,500 विद्रोहियों वाले दावे को उन्होंने खारिज किया. बलूच लिबरेशन आर्मी के हमलों में 14 सैनिक मारे गए. CPEC परियोजनाएं भी निशाने पर हैं. अब बलूच आंदोलन शांतिपूर्ण और सशस्त्र दोनों रूपों में सामने आ रहा है.

जहां एक ओर पाकिस्तान को भारत के जवाबी हमलों से निपटना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर देश के अंदरूनी हालात भी बिगड़ते जा रहे हैं. बलूचिस्तान में अलगाववादियों का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है और अब इस क्षेत्र को लेकर पाकिस्तान की चिंता गहराती जा रही है. पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने हाल ही में जो बयान दिया, उससे यह स्थिति और अधिक स्पष्ट हो गई है.
बलूचिस्तान में डर का माहौल, अंधेरे के बाद सड़कों पर सन्नाटा
अब्बासी ने एक इंटरव्यू में बताया कि बलूचिस्तान में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अंधेरा होने के बाद वहां सरकार की कोई उपस्थिति नहीं दिखाई देती. उन्होंने कहा कि मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी भी सुरक्षा गार्ड के बिना बाहर निकलने से डरते हैं. क्वेटा जैसे बड़े शहरों में भी राज्य का प्रभाव रात के समय लगभग समाप्त हो जाता है.
अब्बासी ने उठाए सेना प्रमुख के दावों पर सवाल
पाक आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर ने दावा किया था कि बलूचिस्तान में चंद लोगों का ग्रुप ही अशांति फैला रहा है. इस पर अब्बासी ने निशाना साधते हुए कहा कि यह स्थिति की पूरी तरह गलत समझ है. उन्होंने कहा कि इस तरह के आंकड़े असली समस्या से ध्यान भटकाने का तरीका हैं, जबकि सच्चाई यह है कि पाकिस्तान अब बलूचिस्तान पर नियंत्रण खो रहा है.
बीएलए के हमलों ने बढ़ाई चिंता
5 मई को अब्बासी के बयान के तुरंत बाद, बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने 6 मई को दो अलग-अलग हमलों में 14 पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया. ये हमले बलूचिस्तान के बोलन और केच क्षेत्रों में किए गए. इन घटनाओं ने अब्बासी की चेतावनी को सही साबित कर दिया.
बलूच विद्रोही ले रहे खुला नियंत्रण
अब्बासी का कहना है कि बलूच विद्रोही अब हाईवे पर खुलेआम गश्त करते हैं, चौकियां लगाते हैं और कभी-कभी शहरों पर भी घंटों तक नियंत्रण बनाए रखते हैं. यह कानून व्यवस्था की विफलता नहीं, बल्कि राज्य की सत्ता में कमजोरी का संकेत है.
पाकिस्तान के लिए रणनीतिक सिरदर्द बना बलूचिस्तान
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा और खनिज संपदा से भरपूर प्रांत है, लेकिन यह सबसे कम आबादी वाला क्षेत्र भी है. यहां दशकों से आर्थिक शोषण, संसाधनों की लूट और मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ आंदोलन चल रहा है. बलूच विद्रोहियों का गुस्सा चीनी निवेश, विशेष रूप से CPEC परियोजनाओं पर भी केंद्रित है.
शांतिपूर्ण विरोध से लेकर आत्मघाती हमलों तक
अब विद्रोह केवल हथियारबंद संगठनों तक सीमित नहीं रहा. महिलाएं भी आंदोलन का नेतृत्व कर रही हैं. महरंग बलूच जैसी कार्यकर्ता, जबरन गायब किए गए पुरुषों के लिए आवाज़ उठा रही हैं. वहीं कुछ महिलाएं अब आत्मघाती हमलावर बनकर सामने आ रही हैं, जो पाकिस्तान के लिए नई चिंता का विषय हैं.
पाकिस्तान की साख पर गहरा असर
मार्च 2024 में BLA ने जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक कर लिया, जिससे पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए. इस हमले में 40 से अधिक सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई. दक्षिण एशिया आतंकवाद पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, बलूचिस्तान में हिंसा में 2023 की तुलना में 2024 में 40% की वृद्धि हुई है.
अब्बासी की चेतावनी को नजरअंदाज करना मुश्किल
पूर्व प्रधानमंत्री की चेतावनी इस्लामाबाद के लिए स्पष्ट संकेत है कि बलूचिस्तान अब किसी "मुट्ठीभर लोगों" की समस्या नहीं रहा. भारत की ओर से जारी दबाव और बलूचिस्तान में उभरती बगावत अब पाकिस्तान के लिए दोहरे संकट का कारण बन रही है.


