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PAK के लिए 'दोस्ती', भारत के लिए 'धमकी'... ड्रैगन ने अब क्या चाल चल दी?

सिंधु जल संधि पर भारत-पाक विवाद के बीच चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी का जल रोकने की अप्रत्यक्ष धमकी दी है, जिससे पूर्वोत्तर भारत पर बड़ा संकट मंडरा सकता है.

भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि को लेकर बढ़ते तनाव के बीच अब चीन ने भी मोर्चा खोल दिया है. जम्मू-कश्मीर में हालिया आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को निलंबित करने के संकेत पर चीन बौखला गया है. इसी कड़ी में चीन के टॉप थिंक टैंक सदस्य विक्टर झिकाई गाओ ने भारत को खुलेआम जल-युद्ध की धमकी दी है. उन्होंने संकेत दिया कि अगर भारत पाकिस्तान का पानी रोकता है, तो चीन भी ब्रह्मपुत्र नदी के जल को भारत तक पहुंचने से रोक सकता है.

ये बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत की नदियों पर पहले से ही चीन के दबाव की आशंका बनी हुई है. ब्रह्मपुत्र नदी उत्तर-पूर्व भारत की जीवनरेखा मानी जाती है और अगर ड्रैगन वाकई इस दिशा में कोई कदम उठाता है तो असम, अरुणाचल जैसे राज्य गंभीर संकट में आ सकते हैं.

क्या कहा चीनी थिंक टैंक ने?

चीन के सरकारी रणनीतिक थिंक टैंक के वरिष्ठ सदस्य विक्टर गाओ ने मीडिया में दिए बयान में कहा कि अगर भारत पाकिस्तान के पानी का प्रवाह रोकने का प्रयास करता है, तो चीन भी भारत की ओर बहने वाली नदियों का जल रोक सकता है. ये सीधा इशारा ब्रह्मपुत्र नदी की ओर है, जो तिब्बत से होकर भारत और फिर बांग्लादेश जाती है.

भारत को किस बात का खतरा?

ब्रह्मपुत्र नदी पूर्वोत्तर भारत के असम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय जैसे राज्यों के लिए पानी, सिंचाई और बिजली उत्पादन की मुख्य धारा है. अगर चीन इस नदी का प्रवाह रोकने या मोड़ने की कोशिश करता है तो इसका असर कृषि, जल जीवन मिशन और हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स पर सीधा पड़ेगा.

पहले भी दिखाई है जल डिप्लोमेसी की चाल

ये पहली बार नहीं है जब चीन ने जल को रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करने की धमकी दी है. साल 2017 में डोकलाम विवाद के दौरान भी चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी से जुड़ा हाइड्रोलॉजिकल डेटा भारत को देना बंद कर दिया था. इससे बाढ़ पूर्व चेतावनी प्रणाली प्रभावित हुई थी, जिससे असम और अरुणाचल जैसे इलाकों में जल प्रबंधन मुश्किल हो गया था.

पाकिस्तान के लिए 'दोस्ती', भारत पर 'दबाव'

विशेषज्ञों का मानना है कि चीन पाकिस्तान के साथ अपने रणनीतिक रिश्तों को मजबूत करते हुए भारत पर दबाव बनाना चाहता है. सिंधु जल संधि को लेकर भारत के कड़े रुख के जवाब में चीन पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखना चाहता है, ताकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को घेरा जा सके.

भारत को अब क्या कदम उठाने चाहिए?

सुरक्षा और जल विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को इस मामले को केवल कूटनीतिक स्तर पर नहीं छोड़ना चाहिए, बल्कि तकनीकी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी तैयारी मजबूत करनी चाहिए. एक रक्षा विशेषज्ञ ने कहा कि भारत को ट्रांस-बाउंड्री नदियों पर दीर्घकालिक रणनीति बनानी होगी और चीन की जल चालों को वैश्विक मंच पर उजागर करना होगा. 

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01 June 2025, 04:32 PM IST

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