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'श्री राम की जन्मभूमि नेपाल में है, न कि इंडिया में', सत्ता जाने के बाद पूर्व पीएम केपी ओली ने उगला भारत के खिलाफ जहर

पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफे के बाद कहा कि वे लिपुलेख, कालापानी, लिंपियाधुरा और भगवान राम की जन्मभूमि जैसे मुद्दों पर समझौता नहीं करेंगे. उन्होंने खुद को विदेशी साजिश का शिकार बताया. जनरेशन जेड विरोध में अब तक 34 मौतें, 1338 हो चुके हैं.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

Gen Z protests: नेपाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं के नेतृत्व वाले जनरल ज़ेड प्रदर्शनों के चलते सत्ता से हटाए गए पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफे के बाद पहली बार सार्वजनिक बयान दिया है. उन्होंने फेसबुक पर एक लंबी पोस्ट के माध्यम से स्पष्ट किया कि वे नेपाल की संप्रभुता और राष्ट्रवाद से जुड़े मुद्दों पर किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेंगे.

राजनीतिक में वापसी की कोशिश

ओली ने अपनी पोस्ट में कहा कि लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा जैसे विवादित क्षेत्र नेपाल के अभिन्न हिस्से हैं और वे हमेशा इन पर नेपाल का दावा करते रहेंगे. उन्होंने यह भी दोहराया कि भगवान श्री राम की जन्मभूमि नेपाल में है, न कि भारत में. उनका कहना है कि इन मुद्दों पर उनके अडिग रुख ने ही उन्हें सत्ता गंवाने पर मजबूर किया, लेकिन वह इससे पीछे नहीं हटेंगे. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ओली राष्ट्रवादी भावनाओं का सहारा लेकर खुद को फिर से जनसमर्थन दिलाने की कोशिश कर रहे हैं.

शिवपुरी बैरक से कर रहे हैं रणनीति

अपने 10 सितंबर के बयान में ओली ने यह भी साफ किया कि वे अभी नेपाल में ही हैं और अस्थायी तौर पर नेपाल सेना के शिवपुरी बैरक में रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें सत्ता से हटाना बाहरी शक्तियों की साजिश थी और वे इसका विरोध करते रहेंगे.

भारत विरोधी रुख पर कायम ओली

अपनी पार्टी के नाम खुले पत्र में ओली ने कहा कि वे जानते हैं कि उनका स्वभाव ज़िद्दी है, लेकिन यही जिद उन्हें चुनौतियों के बीच भी डटे रहने की ताकत देती है. उन्होंने कहा कि उन्होंने नेपाल में सक्रिय सोशल मीडिया कंपनियों से स्थानीय पंजीकरण और नियमों का पालन कराने की पहल की थी, जिससे उन्हें विरोध झेलना पड़ा. उन्होंने यह भी कहा कि यदि वे लिपुलेख, कालापानी, लिंपियाधुरा और भगवान राम की जन्मभूमि जैसे संवेदनशील मुद्दों पर झुक जाते, तो उन्हें पद और प्रतिष्ठा बनाए रखने में कोई कठिनाई नहीं होती, लेकिन उन्होंने राज्यहित को प्राथमिकता दी.

ओली ने लिखा कि अगर मैंने लिम्पियाधुरा वाला नया मानचित्र संयुक्त राष्ट्र को न भेजा होता, या दूसरों को मेरे लिए फैसले लेने दिया होता, तो मेरी जिंदगी आसान हो सकती थी. लेकिन मैंने अपना सब कुछ राष्ट्र को समर्पित कर दिया. मेरे लिए व्यक्तिगत लाभ या पद कभी मायने नहीं रखते थे.

विरोध प्रदर्शनों में बढ़ रहा है तनाव

नेपाल में जारी जनरल ज़ेड आंदोलन के दौरान हिंसा लगातार बढ़ रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुष्टि की है कि अब तक 34 प्रदर्शनकारी अपनी जान गंवा चुके हैं. वहीं, आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक देश भर के अस्पतालों में फिलहाल 1,338 लोग उपचाराधीन हैं.

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11 September 2025, 05:26 PM IST

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