बदलाव के लिए रहें तैयार...डीके शिवकुमार ने इशारों में कार्यकर्ताओं को दिया मैसेज
कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज हैं. उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के बदलाव संबंधी बयान और सिद्धारमैया संग दिखी एकता के बावजूद तनाव बरकरार है. पुराने सत्ता-साझेदारी समझौते, दिल्ली दौरों और सोशल मीडिया टिप्पणियों से विवाद फिर उभर आया है.

बेंगलुरुः कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने राज्य के कांग्रेस कार्यकर्ताओं से आने वाले दिनों में बदलाव के लिए तैयार रहने की अपील करते हुए एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को हवा दे दी है. हासन में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के साथ मंच साझा करते हुए दिए इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में नई हलचल पैदा कर दी है.
यह टिप्पणी ऐसे समय सामने आई है जब शिवकुमार और सिद्धारमैया ने चार दिनों के भीतर एक-दूसरे के आवास पर नाश्ते पर मुलाकात कर अपनी एकता का संदेश देने की कोशिश की. पार्टी नेतृत्व भी लंबे समय से दोनों के बीच एकजुटता बनाए रखने की कोशिश में जुटा है.
सरकारी कार्यक्रम में इशारों में कही बड़ी बात
हासन में आयोजित सरकारी सेवाओं के समर्पण सम्मेलन में शिवकुमार ने कहा कि हमें आने वाले दिनों में राज्य को नई ताकत और नया आकार देने के लिए बदलाव की तैयारी करनी चाहिए. उनके ये शब्द भले ही स्पष्ट न थे, लेकिन यह संदेश कार्यकर्ताओं और पर्यवेक्षकों दोनों को यह संकेत दे गया कि पार्टी के भीतर नेतृत्व को लेकर स्थिति अभी भी पूरी तरह स्थिर नहीं है.
अपने संबोधन में उन्होंने आगे कहा कि जीवन में स्थायी कुछ नहीं होता, केवल कर्म और विरासत ही शाश्वत हैं. उन्होंने कार्यकर्ताओं को अवसरों का सही उपयोग करने और वादों में अनुशासन रखने की सलाह दी.
एकता दिखाने के बावजूद बनी हुई हैं खाई
2 दिसंबर को शिवकुमार ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेंगलुरु आवास पर नाश्ते का निमंत्रण स्वीकार किया था. इसके कुछ ही दिन पहले सिद्धारमैया ने भी शिवकुमार को अपने घर बुलाया था. इन दोनों मुलाकातों को पार्टी हाईकमान की रणनीति माना गया, जिसका मकसद यह दिखाना था कि कांग्रेस के भीतर सबकुछ सामान्य है.
लेकिन अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, दोनों नेताओं के बीच तनाव कई महीनों से जारी है. 2023 विधानसभा चुनावों के बाद दोनों के बीच सत्ता-साझेदारी को लेकर एक समझौते की चर्चा हुई थी, जिसमें ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री पद साझा करने की बात कही गई थी. अक्टूबर में यह अवधि बीतने के बाद शिवकुमार के समर्थक नेतृत्व परिवर्तन की ओर देख रहे हैं.
दिल्ली दौरों और बयानबाजी ने बढ़ाई सियासी गर्मी
दोनों नेताओं के सार्वजनिक खंडन के बावजूद, दिल्ली में हुई बैठकों और सोशल मीडिया के बयानों ने विवाद को जीवित रखा है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी स्पष्ट किया है कि इस मुद्दे पर अंतिम फैसला शीर्ष नेतृत्व ही करेगा.
27 नवंबर को एक्स पर शिवकुमार ने लिखा, “शब्द शक्ति ही विश्व शक्ति है. अपनी बात पर कायम रहना दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है.” यह पोस्ट उनके मुख्यमंत्री पद के दावे की ओर संकेत मानी गई. कुछ घंटे बाद सिद्धारमैया ने जवाब देते हुए कहा, “शब्द तब तक शक्ति नहीं है, जब तक वे लोगों का जीवन बेहतर न बनाए.” उनका यह जवाब इस बहस को और तेज कर गया.
सिद्धारमैया का पलटवार
हासन के इसी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि वे बिना सोचे-समझे वादे नहीं करते, और जो भी वादा करते हैं उसे निभाते हैं. उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ही वह सरकार है जिसने सबसे अधिक अपने वादों को पूरा किया है.


