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2009 BDR बगावत का आदेश शेख हसीना ने दिया, सेना को कमजोर करने में भारत की भूमिका...बांग्लादेश का बड़ा दावा

बांग्लादेश राइफल्स की 2009 की बगावत पर नई आयोग ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर सीधे आरोप लगाए हैं कि उन्होंने विद्रोह की अनुमति दी. आयोग ने भारत पर बांग्लादेश को अस्थिर करने का आरोप भी लगाया.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

नई दिल्ली : बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल में है. 2009 में बांग्लादेश राइफल्स (BDR) की बगावत, जिसमें देश के दर्जनों वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की हत्या कर दी गई थी, उस घटना की जांच के लिए बनाई गई नई आयोग ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर सीधे-सीधे आरोप लगाया है. आयोग का दावा है कि सत्ता से बेदखल की गई 78 वर्षीय हसीना ने खुद इस बगावत की अनुमति दी थी. यह वही मामला है जिसकी गूंज 16 वर्षों से बांग्लादेश की राजनीति और सेना में बनी हुई है.

यूनुस प्रशासन द्वारा गठित आयोग के सख्त आरोप

आपको बता दें कि नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने हसीना को हटाए जाने के बाद इस आयोग का गठन किया था. आयोग को 2009 की उस घटना की फिर से जांच करने का काम सौंपा गया, जब ढाका स्थित मुख्यालय से शुरू हुई दो दिवसीय बगावत पूरे देश में फैल गई थी और 74 लोगों की जान ले ली थी. आयोग के प्रमुख ए.एल.एम. फजलुर रहमान का दावा है कि उस समय की अवामी लीग सरकार इस विद्रोह में प्रत्यक्ष रूप से शामिल थी. उन्होंने पूर्व सांसद फजल नूर तपोश को इस पूरे अभियान का “मुख्य समन्वयक” बताया और कहा कि उन्होंने हसीना के निर्देश पर ही कार्रवाई की योजना बनाई.

भारत पर साजिश का आरोप और नए तनाव की शुरुआत
रहमान ने अपनी रिपोर्ट में यह भी दावा किया कि घटना के पीछे एक विदेशी शक्ति की भूमिका “स्पष्ट” थी. प्रेस ब्रीफिंग के दौरान उन्होंने खुलकर कहा कि तत्कालीन परिस्थितियों में भारत बांग्लादेश की अस्थिरता का कारण बनना चाहता था और हसीना सरकार के साथ मिलकर सेना को कमजोर करने की कोशिश कर रहा था. उन्होंने यह भी कहा कि उस समय करीब 921 भारतीय नागरिक बांग्लादेश आए थे, जिनमें से 67 का आज तक कोई पता नहीं है, और इसे उन्होंने भारत की “हस्तक्षेपकारी भूमिका” का संकेत बताया.


हालांकि भारत ने इन आरोपों पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. उल्लेखनीय है कि जुलाई–अगस्त 2024 के विरोध प्रदर्शनों के बाद जब हसीना भारत में शरण लेने पहुंचीं, तभी से दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं.

सैन्य-सिविल ढांचे में एक बार फिर तनाव बढ़ा
हसीना सरकार द्वारा पहले कराई गई जांच में कहा गया था कि सैनिकों की पुरानी शिकायतें, वेतन और कार्य-स्थितियों से जुड़ा असंतोष ही विद्रोह का मुख्य कारण था. लेकिन उनके राजनीतिक विरोधी लगातार यह आरोप लगाते रहे कि हसीना ने सेना पर नियंत्रण मजबूत करने के उद्देश्य से इस संकट का राजनीतिक उपयोग किया. यूनुस प्रशासन के आयोग की नई रिपोर्ट ने इन आरोपों को नया आधार दे दिया है और बांग्लादेश के सैन्य-सिविल ढांचे में एक बार फिर तनाव बढ़ा दिया है.

हसीना की निर्वासन स्थिति और प्रत्यर्पण की मांग
रिपोर्ट जारी होने के साथ ही बांग्लादेश सरकार ने भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की मांग दोहराई है. बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा कि यह मुद्दा भारत-बांग्लादेश संबंधों को प्रभावित नहीं करना चाहिए, लेकिन चूंकि हसीना अब मानवता विरोधी अपराधों में दोषी घोषित हो चुकी हैं, इसलिए उनका जल्द से जल्द प्रत्यर्पण अपेक्षित है. हसीना को 17 नवंबर को अनुपस्थिति में मौत की सज़ा सुनाई गई थी, जिसके बाद उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया. पिछले साल छात्र-नेतृत्व वाले प्रदर्शनों पर कड़े दमन के बाद 5 अगस्त 2024 को उनकी सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी और तभी से वे भारत में शरण लिए हुए हैं.

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01 December 2025, 08:26 AM IST

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