13 महीने का नया साल 2026! एक महीना रहेगा 60 दिन का, जानिए इस दुर्लभ संयोग के बारे में
आने वाला साल 2026 हिंदू पंचांग के हिसाब से काफी खास और रोमांचक होने वाला है. इस बार ज्येष्ठ माह नहीं बल्कि दो-दो ज्येष्ठ माह आएंगे, यानी एक अतिरिक्त महीना जुड़ जाएगा. इसे पुरुषोत्तम अधिक मास कहते हैं, जो लगभग 58–59 दिनों तक चलेगा.

नई दिल्ली: हिंदू परंपराओं में अधिकमास को अत्यंत शुभ और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर महीना माना गया है. मान्यता है कि यह काल साधना, उपासना, व्रत और दान-पुण्य के लिए अत्यंत फलदायी होता है. जब चंद्र मास की गणना में 12 महीनों के अतिरिक्त एक और महीना जुड़ जाता है, तो उसे अधिकमास कहा जाता है, जिसे मलमास या पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है.
इस समय विक्रम संवत 2082 चल रहा है, जिसका समापन होली के पश्चात होगा. इसके बाद चैत्र नवरात्रि से विक्रम संवत 2083 का आरंभ होगा. इसी वर्ष पंचांग में एक अतिरिक्त महीना जुड़ने के कारण अधिकमास पड़ेगा, जो ज्येष्ठ माह में आएगा.
साल 2026 में रहेंगे दो ज्येष्ठ महीने
विक्रम संवत 2083 में अधिकमास ज्येष्ठ महीने में पड़ेगा. ऐसे में वर्ष 2026 में दो ज्येष्ठ महीने होंगे. एक सामान्य ज्येष्ठ और दूसरा अधिक ज्येष्ठ. अधिकमास के कारण ज्येष्ठ माह की अवधि लगभग 58–59 दिनों तक बढ़ जाएगी और पूरे वर्ष कुल 13 महीने होंगे.
अधिकमास 2026: कब से कब तक?
पंचांग के अनुसार, वर्ष 2026 में ज्येष्ठ माह 22 मई से आरंभ होकर 29 जून 2026 तक चलेगा. वहीं, अधिकमास की शुरुआत 17 मई 2026 को होगी और इसका समापन 15 जून 2026 को होगा. जब किसी मास की अवधि दो बार पंचांग में आती है, तो उसे ही पुरुषोत्तम मास या अधिकमास कहा जाता है.
कितना अंतर जोड़ता है अधिकमास?
अधिकमास चंद्र-सौर गणनाओं के असंतुलन को संतुलित करने हेतु जोड़ा जाता है. लगभग हर 32 माह 16 दिन और कुछ घंटों के अंतराल पर यह अतिरिक्त समय एक पूर्ण महीने के बराबर हो जाता है. यही अवधि अधिकमास कहलाती है और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है. कई लोग इसे जप, तप, व्रत, दान और आध्यात्मिक साधना के लिए विशेष रूप से शुभ समय मानते हैं.
अधिकमास क्यों आता है?
चंद्र कैलेंडर और सूर्य वर्ष की अवधि समान नहीं होती. चांद का मासिक चक्र सूर्य के चक्र से थोड़ा छोटा होता है, जिसके कारण हर वर्ष करीब 11 दिनों का अंतर बढ़ता जाता है. लगभग 32 महीने 16 दिन में यह अंतर एक पूरे मास के बराबर हो जाता है. इसी अतिरिक्त अवधि को संतुलित करने के लिए पंचांग में एक अतिरिक्त महीना जोड़ दिया जाता है, जिसे अधिकमास कहा जाता है.
Disclaimer: ये धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.


