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आसिम मुनीर को बनाया जाना था CDS, लेकिन जानबूझकर लंदन चल दिए PM शहबाज शरीफ...पाक NSA के पूर्व सदस्य का बड़ा दावा

पाकिस्तान में सेना नेतृत्व को लेकर बड़ा संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है, क्योंकि आसिम मुनीर को CDF नियुक्त करने का नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ और उनका कार्यकाल समाप्त हो चुका है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

नई दिल्ली : पाकिस्तान इस समय अपने सैन्य ढांचे से जुड़े एक गंभीर संवैधानिक संकट से जूझ रहा है. देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) के तौर पर फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की नियुक्ति का आदेश 29 नवंबर तक जारी होना था, लेकिन शहबाज शरीफ सरकार ने निर्धारित समय सीमा गुजर जाने के बावजूद कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया. इस स्थिति ने राजनीतिक और संस्थागत असमंजस को और गहरा कर दिया है.

शहबाज शरीफ के कदम पर सवाल

पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) सदस्य तिलक देवेशर ने दावा किया कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने जानबूझकर खुद को इस प्रक्रिया से दूर रखने की कोशिश की. उनके मुताबिक पीएम पहले बहरीन गए और फिर लंदन रवाना हो गए ताकि उन्हें आसिम मुनीर के विस्तार या CDF नियुक्ति से जुड़े संवेदनशील दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर न करने पड़ें. देवेशर का कहना है कि शहबाज शरीफ इस नियुक्ति के राजनीतिक जोखिमों से भलीभांति अवगत हैं और इसी वजह से उन्होंने अपने को इस संवैधानिक प्रक्रिया से अलग कर लिया है.

आसिम मुनीर का कार्यकाल समाप्त, व्यवस्था अधर में
29 नवंबर को आसिम मुनीर का तीन वर्षीय कार्यकाल समाप्त हो चुका है. यदि औपचारिक आदेश जारी नहीं किया जाता है तो तकनीकी तौर पर पाकिस्तान सेना बिना प्रमुख के रह जाएगी. यह स्थिति इसलिए भी अधिक गंभीर मानी जा रही है क्योंकि नए ढांचे में पाकिस्तान की परमाणु कमान भी CDF के अधीन रखी गई है. देवेशर ने इसे पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था के लिए अत्यंत चिंताजनक और जोखिमपूर्ण बताया है.

कानूनी मतभेद और सेना के भीतर बढ़ी हलचल
कानूनी विशेषज्ञ इस मामले पर दो भागों में बंटे हुए हैं. एक समूह का तर्क है कि 2024 में किए गए आर्मी एक्ट संशोधन के बाद सेना प्रमुख का कार्यकाल स्वचालित रूप से पांच वर्ष का हो जाता है और नए आदेश की जरूरत नहीं पड़ती. दूसरी ओर कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि चूंकि CDF एक नया चार-स्टार पद है, इसलिए उसकी नियुक्ति के लिए औपचारिक नोटिफिकेशन अनिवार्य है. इस असमंजस के चलते पाकिस्तानी सेना के भीतर भी उच्च स्तर पर हलचल तेज हो गई है, और कई वरिष्ठ जनरल चार-स्टार पदों पर दावेदारी की तैयारी में जुटे हुए हैं.

नेतृत्वहीन सेना से खड़ा बड़ा सुरक्षा सवाल
शहबाज शरीफ की विदेश यात्राओं के बीच सैन्य नेतृत्व की अनिश्चितता ने पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिरता और सुरक्षा ढांचे पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि परमाणु संपन्न देश में सेना प्रमुख का पद लंबे समय तक रिक्त या अस्पष्ट रहना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. ऐसे में सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह जल्द निर्णय लेकर स्थिति को स्पष्ट करे और अनिश्चितता समाप्त करे.

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01 December 2025, 07:58 AM IST

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