वजीरिस्तान में तालिबान का हमला, 50 पाकिस्तानी सैनिक आत्मसमर्पण के लिए मजबूर
वजीरिस्तान में तालिबान द्वारा हमले की खबर सामने आ रही है. इस दौरान 50 पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

पाकिस्तान के उत्तरी वजीरिस्तान क्षेत्र में तालिबान ने एक बड़ा हमला किया है, जिसमें 50 पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर होना पड़ा. सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों में सैनिकों की वर्दी और पतलून तक उतार ली गई हैं, जिससे क्षेत्र में तनाव और हलचल तेज हो गई है.
उत्तरी वजीरिस्तान के एक गांव की घटना
यह घटना शुक्रवार को उत्तरी वजीरिस्तान के एक गांव में हुई, जहां तालिबान लड़ाकों ने पाकिस्तानी सैनिकों को घेर लिया. तस्वीरों में देखा जा सकता है कि कई सैनिक हथियार डाले हुए हैं, जबकि तालिबान लड़ाके उनके आसपास मौजूद हैं. स्थानीय लोगों की भीड़ भी घटनास्थल पर जमा दिखाई दे रही है, जो इस घटना को अपने कैमरों में कैद कर रही है. इस हमले ने पाकिस्तानी सेना की तैयारियों और क्षेत्र में उनकी स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
पाकिस्तानी सेना का वजीरिस्तान जैसे अशांत क्षेत्रों में संघर्ष का लंबा इतिहास रहा है. 2007 में दक्षिण वजीरिस्तान में भारी लड़ाई की खबरें सामने आई थीं, जिसमें दर्जनों विदेशी लड़ाकों और स्थानीय आतंकियों को मार गिराया गया था. इसके अलावा, 1971 के भारत-पाक युद्ध में भी पाकिस्तानी सेना को पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में 93,000 सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण करना पड़ा था, जो इतिहास की सबसे बड़ी सैन्य हार में से एक मानी जाती है.
कल पाकिस्तान के वजीरिस्तान में तालिबान ने 50 पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया और उनकी वर्दी और पतलून उतार दी
— Ocean Jain (@ocjain4) May 3, 2025
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ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब शुरू
उत्तरी वजीरिस्तान में तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों की मौजूदगी लंबे समय से पाकिस्तान के लिए चुनौती बनी हुई है. 2014 में पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब शुरू किया था, जिसमें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और अन्य आतंकी संगठनों को निशाना बनाया गया था. हालांकि, इस ऑपरेशन के बावजूद क्षेत्र में आतंकी गतिविधियां पूरी तरह खत्म नहीं हुईं. हाल की घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि इस क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है.
घटनास्थल की तस्वीरों में स्थानीय लोग भी मौजूद दिख रहे हैं, जो इस हमले के बाद इलाके में फैले डर और अस्थिरता को दर्शाता है. कुछ जानकारों का मानना है कि तालिबान ने इस हमले के जरिए अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की है, ताकि क्षेत्र में अपनी पकड़ को मजबूत किया जा सके.
पाकिस्तानी सेना की विफलता
अभी तक पाकिस्तानी सेना की ओर से इस घटना पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. हालांकि, सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. कई यूजर्स ने इसे पाकिस्तानी सेना की विफलता करार दिया है, जबकि कुछ ने इस घटना को 1971 की हार से जोड़कर सेना की रणनीति पर सवाल उठाए हैं.


