भारत के साथ जल्द व्यापार समझौता हो सकता है: डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा बयान
डोनाल्ड ट्रम्प की यह टिप्पणी अमेरिका और इंडोनेशिया के बीच सफल व्यापार समझौते के बाद आई, जिसमें पहले घोषित 32% आयात शुल्क को घटाकर 19% कर दिया गया. इस सफलता के बाद ट्रम्प ने संकेत दिया कि भारत सहित अन्य देशों के साथ भी जल्द ही ऐसे ही समझौते हो सकते हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ जल्द ही एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते की संभावना जताई है. उन्होंने कहा कि यह समझौता 1 अगस्त से पहले हो सकता है, जब अमेरिका कुछ देशों पर पारस्परिक शुल्क लागू करने की योजना बना रहा है. ट्रंप की यह टिप्पणी हाल ही में इंडोनेशिया के साथ हुए व्यापारिक समझौते की सफलता के संदर्भ में आई, जिसमें अमेरिका ने घोषित 32% शुल्क को घटाकर 19% कर दिया है.
ट्रंप ने कहा कि भारत के साथ भी “कुछ ऐसा ही” होगा, जैसा इंडोनेशिया के साथ हुआ. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत के साथ बातचीत एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है और वह इस संबंध में भेजे गए पत्रों से “बहुत खुश” हैं. ये पत्र अमेरिका द्वारा 14 देशों को भेजे गए थे, जिनमें भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, म्यांमार और बांग्लादेश शामिल हैं. इन पत्रों में टैरिफ की दरों का उल्लेख किया गया था और चेतावनी दी गई थी कि 1 अगस्त तक समझौता नहीं होने पर उच्च शुल्क लगाए जाएंगे.
भारत को मिला ट्रंप का भरोसा
ट्रंप ने जोर देकर कहा कि अमेरिका अब उन देशों के साथ व्यापार को प्राथमिकता दे रहा है जो निष्पक्ष और पारस्परिक आधार पर सौदे करने को तैयार हैं. उन्होंने बताया कि अमेरिका ने पहले ही यूनाइटेड किंगडम और चीन के साथ समझौते कर लिए हैं और भारत के साथ समझौते की दिशा में "काफी निकट" है.
जल्द हो सकता है ऐतिहासिक व्यापार समझौता
वर्तमान में, वाशिंगटन में भारतीय और अमेरिकी अधिकारियों के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर चार दिवसीय चर्चा जारी है, जो 17 जुलाई को समाप्त होगी. यह वार्ता दोनों देशों के बीच ऊर्जा, कृषि, और विनिर्माण क्षेत्रों में व्यापारिक बाधाओं को कम करने और टैरिफ सहयोग को लेकर हो रही है.
अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता निर्णायक मोड़ पर
ट्रंप की व्यापार नीति का मकसद अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना और घरेलू उद्योग को बढ़ावा देना है. इस नीति के तहत वे गैर-न्यायसंगत व्यापारिक व्यवहारों पर कड़ा रुख अपनाते हुए, टैरिफ को एक दबाव उपकरण की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. अगर भारत के साथ यह समझौता समय पर हो जाता है, तो यह दोनों देशों के लिए आर्थिक और कूटनीतिक दृष्टि से लाभकारी साबित हो सकता है.


