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अमेरिका के बाद अब रूस की बारी, चंद्रमा पर परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की तैयारी तेज

रूस अगले दशक तक चांद पर एक गेम-चेंजर कदम उठाने वाला है. मॉस्को की प्लान है चंद्रमा की सतह पर एक शक्तिशाली पावर प्लांट लगाना, जो रूसी मिशनों को बिजली देगा और रूस-चीन के संयुक्त लूनर स्टेशन को भी रोशनी प्रदान करेगा.

Goldi Rai
Edited By: Goldi Rai

नई दिल्ली: रूस आने वाले एक दशक में अंतरिक्ष की दुनिया में एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाने की तैयारी में है. मॉस्को की योजना चांद पर एक पावर प्लांट स्थापित करने की है, जिससे ऊर्जा उत्पन्न कर उसके लूनर मिशनों को बिजली की आपूर्ति की जा सके. इस पावर प्लांट से रूस-चीन के संयुक्त रिसर्च स्टेशन को भी ऊर्जा देने की योजना है.

यह रणनीति ऐसे समय सामने आई है, जब दुनिया की बड़ी शक्तियां चांद को लेकर अपनी गतिविधियां तेज कर चुकी हैं. पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह पर स्थायी मौजूदगी और उसके संसाधनों के इस्तेमाल को लेकर देशों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है, और इसी दौड़ में रूस खुद को फिर से मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना चाहता है.

अंतरिक्ष तकनीक में रूस का पुराना दबदबा

स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में रूस का इतिहास बेहद मजबूत रहा है. वर्ष 1961 में सोवियत संघ के अंतरिक्ष यात्री यूरी गगारिन अंतरिक्ष में जाने वाले पहले इंसान बने थे. उस दौर में रूस ने खुद को अंतरिक्ष विज्ञान की अग्रणी शक्ति के तौर पर स्थापित किया था. हालांकि, बीते कुछ दशकों में इस मोर्चे पर अमेरिका और चीन ने रूस को पीछे छोड़ दिया है.

चांद पर क्या करना चाहता है रूस?

रूस की स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि वह 2036 तक चांद पर एक पावर प्लांट स्थापित करने की योजना पर काम कर रही है. इस परियोजना के लिए रोस्कोस्मोस ने लावोचिन एसोसिएशन एयरोस्पेस कंपनी के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए हैं.

हालांकि, रोस्कोस्मोस ने यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा है कि यह पावर प्लांट न्यूक्लियर होगा, लेकिन उसने यह जरूर बताया कि इस प्रोजेक्ट में रूस की सरकारी परमाणु निगम रोसाटॉम और देश के प्रमुख परमाणु अनुसंधान संस्थान कुरचटोव इंस्टिट्यूट की भागीदारी होगी.

लूनर मिशन को मिलेगी ऊर्जा

रोस्कोस्मोस के मुताबिक, इस पावर प्लांट का मुख्य उद्देश्य रूस के लूनर मिशनों को ऊर्जा उपलब्ध कराना है. एजेंसी ने कहा कि यह प्रोजेक्ट स्थायी रूप से काम करने वाले वैज्ञानिक लूनर स्टेशन के निर्माण और एक बार के मिशन से दीर्घकालिक चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम में संक्रमण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इस ऊर्जा के जरिए चांद की सतह या उसके कक्ष में भेजे गए मिशनों को लंबे समय तक संचालित करने में मदद मिलेगी.

अमेरिका भी चांद पर रिएक्टर लगाने की तैयारी में

चांद पर ऊर्जा उत्पादन की योजना बनाने वाला रूस अकेला देश नहीं है. अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने अगस्त में वित्तीय वर्ष 2030 की पहली तिमाही तक चांद पर एक न्यूक्लियर रिएक्टर स्थापित करने के इरादे की घोषणा की थी.

अमेरिका के ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी सीन डफी ने इस योजना पर कहा था कि हम चंद्रमा की दौड़ में हैं, चीन के साथ चंद्रमा की दौड़ में हैं. और चंद्रमा पर बेस बनाने के लिए, हमें ऊर्जा की आवश्यकता है. उन्होंने यह भी स्वीकार किया था कि इस समय अमेरिका चंद्रमा की दौड़ में पीछे है.

चांद से मंगल तक की तैयारी

सीन डफी ने यह भी कहा था कि चंद्रमा पर स्थायी जीवन बनाए रखने और वहां से भविष्य में इंसानों को मंगल ग्रह तक भेजने के लिए ऊर्जा बेहद जरूरी है. इसी सोच के तहत अमेरिका और रूस, दोनों ही चांद पर पावर इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

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25 December 2025, 08:59 AM IST

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