ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका का हमला, वैश्विक नेताओं का क्या रहा रिएक्शन?
अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हवाई हमला कर वैश्विक स्तर पर राजनयिक भूचाल ला दिया है. इजराइल ने इस कार्रवाई की सराहना की, जबकि संयुक्त राष्ट्र, चीन और अन्य देशों ने कड़ी आलोचना की है.

अमेरिका ने शनिवार को एक बड़ा सैन्य कदम उठाते हुए ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान स्थित 3 प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए. इन हमलों के तुरंत बाद वैश्विक स्तर पर प्रतिक्रियाओं का सिलसिला शुरू हो गया- इजराइल की सराहना से लेकर संयुक्त राष्ट्र और कई अन्य देशों की कड़ी आलोचना तक.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक टेलीविजन संबोधन में इन हमलों की पुष्टि करते हुए कहा कि ये कार्रवाई ईरान की परमाणु संवर्धन क्षमता को नष्ट करने और वैश्विक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए की गई है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ईरान ने शांति की राह नहीं चुनी तो भविष्य में हमले और ज्यादा व्यापक होंगे.
ट्रंप का सख्त संदेश
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने संबोधन में कहा कि हमारा उद्देश्य ईरान की परमाणु संवर्धन क्षमता को नष्ट करना और उस परमाणु खतरे को खत्म करना था जो दुनिया के सबसे बड़े आतंक समर्थक देश से उत्पन्न होता है. ईरान को अब शांति स्थापित करनी होगी. मैं प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को धन्यवाद देता हूं. हमने जिस तरह एक टीम के रूप में काम किया, वैसा शायद ही किसी ने कभी देखा हो.
इजराइल ने की सराहना
इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिका के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि बधाई हो, राष्ट्रपति ट्रंप. आपने ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका की प्रचंड और धर्मसंगत ताकत के साथ जो साहसिक फैसला लिया है, वो इतिहास को बदल देगा… इतिहास में दर्ज होगा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने दुनिया के सबसे खतरनाक शासन को सबसे खतरनाक हथियारों से वंचित करने के लिए कदम उठाया.
हमले के बाद ईरान की चेतावनी
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा- आज सुबह की घटनाएं अत्यंत निंदनीय हैं और इनके शाश्वत परिणाम होंगे… तेहरान सभी विकल्प अपने पास सुरक्षित रखता है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने एक आधिकारिक बयान में कहा:- यह पहले से ही अस्थिर क्षेत्र में एक खतरनाक उकसावा है और अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के लिए प्रत्यक्ष खतरा… सैन्य हल नहीं है, केवल राजनयिक रास्ता ही समाधान दे सकता है.
नाटो: ‘स्थिति पर करीबी नजर’
नाटो के एक अधिकारी ने बताया कि गठबंधन स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए है. इराक में नाटो की सलाहकार भूमिका पर संभावित प्रभाव को लेकर पूछे जाने पर, अधिकारी ने केवल निगरानी की बात दोहराई.
चीन: ‘अमेरिका दोहरा रहा है इराक की गलती’
चीन की सरकारी मीडिया CGTN ने एक टिप्पणी में सवाल उठाया कि क्या अमेरिका ईरान में अपनी इराक की गलती दोहरा रहा है. इतिहास ने बार-बार दिखाया है कि मध्य पूर्व में सैन्य हस्तक्षेप अक्सर अनचाहे परिणाम लाते हैं- लंबे संघर्ष और क्षेत्रीय अस्थिरता.
जापान और दक्षिण कोरिया की प्रतिक्रिया
जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू ईशिबा ने मंत्रियों के साथ एक आपात बैठक बुलाने का फैसला लिया है ताकि अमेरिकी हमलों के प्रभावों का आकलन किया जा सके. वहीं दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति कार्यालय ने सुरक्षा व आर्थिक प्रभावों को समझने और प्रतिक्रिया तय करने के लिए आपात बैठक की घोषणा की है.
न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया की अपील
न्यूज़ीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने कहा कि मध्य पूर्व में चल रही सैन्य कार्रवाई अत्यंत चिंताजनक है. हमें सभी पक्षों से वार्ता में लौटने की अपील करनी चाहिए. दीर्घकालिक समाधान केवल कूटनीति से ही संभव है.
ऑस्ट्रेलिया ने भी एक बयान में कहा कि ईरान का परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा है. हम लगातार तनाव कम करने, संवाद और कूटनीति की वकालत करते आए हैं.
लैटिन अमेरिकी देशों की निंदा
वेनेजुएला के विदेश मंत्री इवान गिल ने कहा कि बोलिवेरियन रिपब्लिक ऑफ वेनेजुएला अमेरिका द्वारा इस्राइल के अनुरोध पर ईरान के परमाणु ठिकानों- फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर किए गए बमबारी की कड़ी निंदा करता है.
क्यूबा के राष्ट्रपति मिगेल दियाज-कनेल ने लिखा- हम अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों की कड़ी निंदा करते हैं, जो एक खतरनाक उकसावा है… यह आक्रामकता संयुक्त राष्ट्र चार्टर का गंभीर उल्लंघन है और मानवता को अपरिवर्तनीय संकट में धकेल देती है.


