AI से सुसज्जित होगा अमेरिका का डिफेंस, 4 दिग्गज कंपनियों को मिला बड़ा कॉन्ट्रैक्ट
अमेरिका ने OpenAI, Google, Anthropic और xAI को 200 मिलियन डॉलर के AI कॉन्ट्रैक्ट देकर अपने डिफेंस सिस्टम को स्मार्ट, तेज और स्वायत्त बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है. इसका मकसद युद्ध क्षेत्र और सैन्य कार्यों में एजेंटिक AI का उपयोग कर रणनीतिक बढ़त हासिल करना है.

अमेरिका ने अपने डिफेंस सिस्टम को और ज्यादा स्मार्ट, तेज और ऑटोमेटेड बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस (DoD) ने OpenAI, Google (Alphabet), Anthropic और Elon Musk की xAI जैसी चार प्रमुख आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनियों के साथ खास समझौते किए हैं. इन कंपनियों को लगभग 200 मिलियन डॉलर (लगभग 1,660 करोड़ रुपये) का बजट मिला है, जिसका मकसद है – अमेरिका की सुरक्षा प्रणाली में एडवांस AI तकनीक का गहरा एकीकरण करना.
इस पहल के पीछे सबसे बड़ा मकसद है एजेंटिक AI सिस्टम्स का विकास, यानी ऐसे AI मॉडल जो अपने आप फैसले ले सकें, बिना किसी इंसानी दखल के जटिल कार्यों को अंजाम दे सकें. ये AI सिस्टम केवल युद्ध क्षेत्र में नहीं, बल्कि डिफेंस डिपार्टमेंट के लॉजिस्टिक्स, प्लानिंग, डेटा एनालिसिस और रूटीन ऑपरेशंस को भी ज्यादा प्रभावी और तेज बनाएंगे.
स्मार्ट वार की ओर अमेरिका
चारों कंपनियों की बात करें तो OpenAI का नाम ChatGPT जैसे जनरेटिव AI मॉडल्स के लिए जाना जाता है. Google की DeepMind पहले से ही AI इनोवेशन में लीडर है. Anthropic खासकर AI सुरक्षा और एथिक्स पर काम करती है, जबकि Elon Musk की xAI एक नई लेकिन तेजी से उभरती ताकत बन रही है.
AI तकनीक से होगा डिफेंस सिस्टम मजबूत
पेंटागन के Chief Digital and Artificial Intelligence Office (CDAO) का कहना है कि इस पहल से अमेरिका को AI टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में वैश्विक बढ़त मिलेगी और कंपनियों को रीयल-टाइम डिफेंस चैलेंजेस से जुड़ने का मौका मिलेगा. यह केवल टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक मूव भी है – जहां पब्लिक इंटरेस्ट और नेशनल सिक्योरिटी दोनों को साथ में रखा गया है.
AI के सहारे अमेरिका की सैन्य शक्ति में जबरदस्त इजाफा
भविष्य की बात करें तो इस साझेदारी से अमेरिका को युद्ध के मैदान में तेज, सटीक और स्वायत्त निर्णय लेने की क्षमता मिलेगी. सेना का कामकाज और ज्यादा ऑटोमेटेड होगा और रिस्क को कम किया जा सकेगा. साथ ही, AI के सुरक्षित और एथिकल उपयोग के लिए भी यह कदम एक मील का पत्थर साबित हो सकता है.


