संकट गहराया, जवाब गायब, पाकिस्तान में जनरल असीम मुनीर प्रवक्ता बने और होता गया दिशाहीन देश
पाकिस्तान में सत्ता का केंद्र सेना है, लेकिन समाधान गायब हैं। जनरल असीम मुनीर की बयानबाज़ी संकट छुपाती दिखती है। सवाल है, देश चलेगा या भ्रम?

पाकिस्तान के सेनाप्रमुख असीम मुनीर आज सबसे प्रभावशाली चेहरा हैं। हर संकट पर वही बोलते दिखते हैं। लेकिन समाधान कहीं नजर नहीं आता। देश की अर्थव्यवस्था कमजोर है। युवा लगातार बाहर जा रहे हैं। संस्थान भरोसा खो रहे हैं। फिर भी बयान जारी हैं। जब डॉक्टर और इंजीनियर देश छोड़ते हैं, उसे ब्रेन गेन कहा जाता है। जब महंगाई बढ़ती है, साज़िश बता दी जाती है। जब कट्टरता बढ़ती है, राष्ट्रवाद कह दिया जाता है। यह शब्दों का खेल है। इससे हालात नहीं बदलते। जनता भ्रम में रहती है। असल समस्या वहीं की वहीं रहती है।
क्या सेना राजनीति चला रही?
पाकिस्तान में संसद कमजोर है। सरकारें टिकती नहीं हैं। फैसले बैरक की छाया में होते हैं। जनरल की आवाज सरकार से बड़ी है। यही वजह है कि हर जवाब वही देते हैं। लेकिन जवाबदेही तय नहीं होती। लोकतंत्र नाम का रह जाता है। सत्ता का केंद्र एक ही रहता है।
क्या जनता सच जानती है?
आम पाकिस्तानी रोज़मर्रा की मुश्किल झेलता है। आटा महंगा है। बिजली महंगी है। नौकरी मिलना कठिन है। उसे टीवी पर बयान सुनाए जाते हैं। कहा जाता है सब ठीक हो जाएगा। लेकिन ज़िंदगी नहीं बदलती। भरोसा टूटता जाता है।
क्या डर से देश चलता है?
हर नाकामी पर बाहरी दुश्मन गिनाए जाते हैं। कभी भारत का नाम आता है। कभी पश्चिम की साज़िश बताई जाती है। इससे डर पैदा होता है। डर सवाल पूछने से रोकता है। सत्ता सुरक्षित रहती है। जनता उलझी रहती है। यही सबसे बड़ा खेल है।
क्या नेतृत्व आत्मालोचना करेगा?
मजबूत नेतृत्व गलती मानता है। कमजोर नेतृत्व शब्दों में छुपता है। यहां दूसरा रास्ता दिखता है। सुधार की बात कम होती है। बयान ज्यादा होते हैं। योजनाएं धुंधली हैं। जवाबदेही तय नहीं है। यही संकट को गहरा करता है।
क्या भविष्य का रास्ता बदलेगा?
अगर समाधान बयान से नहीं आएंगे। अगर जवाबदेही तय नहीं होगी। अगर सेना राजनीति से पीछे नहीं हटेगी। तो हालात और बिगड़ेंगे। देश संस्थानों पर नहीं टिकेगा। भ्रम पर चलेगा। यही पाकिस्तान की सबसे खतरनाक सच्चाई है।


