चीन में टैरिफ के खिलाफ बगावत, आत्महत्या की धमकी दे रहे मजदूर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ ने चीन की निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था को बुरी तरह झकझोर दिया है. फैक्ट्रियों के बंद होने, वेतन न मिलने और बड़े पैमाने पर बेरोजगारी के चलते चीन के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में जबरदस्त श्रमिक आंदोलन और विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ ने चीन की निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था को गंभीर झटका दिया है. इसके चलते फैक्ट्रियों के बंद होने, मजदूरों को वेतन न मिलने और रोजगार खत्म होने जैसे हालात पैदा हो गए हैं. नतीजतन, चीन के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में व्यापक विरोध प्रदर्शन और असंतोष की लहर फैल गई है.
पिछले दो हफ्तों से चीन के तमाम शहरों में हालात अस्थिर हैं, खासकर अप्रैल 2025 के अंतिम सप्ताह के बाद से. शंघाई से लेकर इनर मंगोलिया तक फैले औद्योगिक क्षेत्रों में हज़ारों मज़दूर सड़कों पर उतर आए हैं. वजह है अमेरिका द्वारा लगाए गए आयात शुल्क, जिसने चीन के निर्यात कारोबार की कमर तोड़ दी है.
मजदूरों का गुस्सा फूटा
चीन में निर्माण और उत्पादन क्षेत्र से जुड़े लाखों मज़दूर गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. टोंगलियाओ जैसे शहरों में मज़दूरों ने वेतन न मिलने पर इमारतों की छतों पर चढ़कर आत्महत्या की धमकी दी. शंघाई के पास एक एलईडी लाइट फैक्ट्री के हज़ारों मज़दूर जनवरी से रुके वेतन की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए.
दाओ काउंटी में स्थित एक खेल सामग्री कंपनी ने संचालन बंद कर दिया और कर्मचारियों को कोई मुआवजा दिए बिना गायब हो गई. ऐसे ही सैकड़ों उदाहरण अब चीन के औद्योगिक क्षेत्रों में आम हो चले हैं.
लॉकडाउन के बाद सबसे खराब स्थिति
चीन के निर्यात ऑर्डर उस स्तर तक गिर चुके हैं जो आखिरी बार कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान देखे गए थे. मैन्युफैक्चरिंग हब्स में भारी स्तर पर छंटनी हो रही है और कंपनियां वेतन देने में असमर्थ हैं. इससे देश में व्यापक श्रमिक आंदोलन और असंतोष का माहौल बन गया है.
चीन का रुख
इसी बीच चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह अमेरिका की ओर से टैरिफ वार्ता फिर शुरू करने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. आधिकारिक बयान में कहा गया, 'चीन आकलन कर रहा है क्योंकि अमेरिका ने हाल ही में कई बार विभिन्न माध्यमों से बीजिंग को संदेश भेजे हैं, जिसमें टैरिफ मुद्दों पर बातचीत की इच्छा जताई गई है.'
मंत्रालय ने साथ ही यह भी जोड़ा कि, 'ट्रेड वॉर की शुरुआत अमेरिका ने एकतरफा रूप से की थी. किसी भी वार्ता के लिए अमेरिका की ईमानदारी, ठोस कदम और एकतरफा शुल्कों को हटाना जरूरी है.'
दबाव में नहीं करेंगे बात, चीन की दो टूक
चीन के अधिकारियों ने अमेरिका की 'असंगत नीतियों' पर नाराज़गी जाहिर की और चेतावनी दी कि यदि अमेरिका बातचीत को एक दबाव की रणनीति की तरह इस्तेमाल करता है, तो इससे विश्वास और भी कमजोर होगा. बीजिंग ने साफ कहा है कि वह किसी भी प्रकार के दबाव में बातचीत को तैयार नहीं होगा.
सिर्फ चीन पर लागू हैं अमेरिकी टैरिफ
राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और यूरोपीय संघ सहित कई देशों के खिलाफ लगाए गए टैरिफ को हटाया या निलंबित कर दिया है. लेकिन चीन के खिलाफ टैरिफ अभी भी पूरी तरह लागू हैं, जिससे बीजिंग अंतरराष्ट्रीय व्यापार में और अधिक अलग-थलग पड़ता जा रहा है. चीन भी पलटवार के तहत जवाबी टैरिफ लगा रहा है, लेकिन वर्तमान में अमेरिका की सक्रिय ट्रेड पेनल्टी का सामना सिर्फ चीन कर रहा है.
घरेलू अशांति से बढ़ी वार्ता की जरूरत
चीन में फैलते मजदूर आंदोलनों ने यह साफ कर दिया है कि लंबे समय से चले आ रहे व्यापार युद्ध की घरेलू कीमत बहुत भारी पड़ रही है. देश के भीतर बनते दबाव के कारण अब बातचीत की सख्त जरूरत महसूस की जा रही है, हालांकि राजनयिक अविश्वास के चलते इसका रास्ता आसान नहीं दिख रहा.


