डॉक्टरों को मिलेगी H-1B वीजा में 100,000 डॉलर की छूट? टीम ट्रंप ने क्या कहा
H-1B visa: व्हाइट हाउस ने एच-1बी वीजा पर 1,00,000 डॉलर शुल्क से डॉक्टर और मेडिकल रेजिडेंट को संभावित छूट का संकेत दिया. यह कदम उच्च कुशल पेशेवरों के लिए है, जबकि अमेरिका में विदेशी चिकित्सक ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण हैं. नई नीति भारतीय आईटी और स्वास्थ्य क्षेत्र पर असर डाल सकती है, लागत बढ़ाएगी और प्रतिभा प्रवाह पर दबाव बढ़ा सकती है.

H-1B visa: व्हाइट हाउस ने सोमवार को संकेत दिया कि डॉक्टर और मेडिकल रेजिडेंट जैसी उच्च कुशल श्रेणियों को हाल ही में लागू किए गए 100000 अमेरिकी डॉलर के एच-1बी वीजा फीस से छूट मिल सकती है. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता टेलर रोजर्स ने बताया कि यह निर्णय अस्पतालों और मेडिकल समूहों की चिंता को ध्यान में रखते हुए किया गया है.
एच-1बी वीजा का महत्व
एच-1बी वीजा कार्यक्रम दूरदराज के इलाकों में काम करने वाले विदेशी प्रशिक्षित डॉक्टरों और विशेषज्ञों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. कई अमेरिकी अस्पताल और स्वास्थ्य प्रणाली ऐसे क्षेत्रों में कर्मचारियों को लाने के लिए इस वीजा पर निर्भर हैं, जहां अमेरिकी प्रशिक्षित पेशेवरों को आकर्षित करना कठिन होता है. स्वास्थ्य अनुसंधान समूह KFF के अनुसार, 76 मिलियन से अधिक अमेरिकी ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं, जहाँ प्राथमिक देखभाल डॉक्टरों की कमी है.
मेडिकल क्षेत्र पर प्रभाव
अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (AMA) के अध्यक्ष बॉबी मुक्कामाला ने चेतावनी दी कि नया शुल्क मरीजों के लिए खतरा पैदा करेगा, विशेषकर ग्रामीण और वंचित इलाकों में और अंतरराष्ट्रीय स्नातक चिकित्सक अमेरिकी स्वास्थ्य प्रणाली का अहम हिस्सा हैं. मेयो क्लिनिक, क्लीवलैंड क्लिनिक और सेंट ज्यूड चिल्ड्रन्स रिसर्च हॉस्पिटल जैसे संस्थान एच-1बी वीजा के प्रमुख प्रायोजक हैं और प्रस्तावित शुल्क से उनकी लागत में लाखों डॉलर की वृद्धि हो सकती है.
ट्रंप प्रशासन की नीति
19 सितंबर को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा पर नया शुल्क लागू किया. प्रशासन का कहना है कि यह कदम केवल असाधारण कुशल पेशेवरों को प्रवेश देने के लिए है और कंपनियों को अमेरिकी कर्मचारियों के बजाय विदेशी श्रमिकों को नियुक्त करने से रोकना है. वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने इसे आवश्यक सुधार बताया और कहा कि यह नीति अमेरिकी राजकोष के लिए 100 अरब डॉलर से अधिक का राजस्व उत्पन्न करेगी.
शुल्क लागू होने की सीमा
व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का शुल्क केवल 21 सितंबर या उसके बाद दायर नई आवेदनों पर लागू होगा. इससे पहले दायर किए गए आवेदन इस नियम से प्रभावित नहीं होंगे. प्रशासन ने यह भी कहा कि यह शुल्क एकमुश्त है, वार्षिक नहीं.
भारत और आईटी सेक्टर पर असर
एच-1बी वीजा का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता भारत है, और भारतीय आईटी सेवा उद्योग इस कार्यक्रम पर काफी हद तक निर्भर है. नए शुल्क से भारतीय पेशेवरों को बनाए रखना कंपनियों के लिए महंगा होगा, जिससे वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा पर असर पड़ सकता है. रिपोर्ट के अनुसार, इस घोषणा के बाद अमेरिकी सूचीबद्ध आईटी कंपनियों के शेयर 2-5% तक गिर गए.
आलोचना और समर्थन
आलोचक कहते हैं कि नया शुल्क प्रतिभा के प्रवाह और नवाचार को बाधित करेगा. वहीं समर्थक इसे वेतन वृद्धि और अमेरिकी स्नातकों के प्रशिक्षण में निवेश को बढ़ावा देने वाला कदम मानते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय हित में समझा जाए तो मामले-दर-मामले छूट की संभावना है, जिसमें डॉक्टर और मेडिकल रेजिडेंट शामिल हो सकते हैं.
स्वास्थ्य क्षेत्र की चिंता
चिकित्सा पेशेवरों का कहना है कि नीति से अंतरराष्ट्रीय स्नातकों का प्रवाह कम हो सकता है, जिससे पहले से ही कमी से जूझ रही स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर दबाव बढ़ जाएगा.


