अमेरिका का फायदा PAK के साथ नहीं, बल्कि भारत के...ऑस्ट्रेलिया के पूर्व PM बोले- पाकिस्तान नहीं, भारत से रिश्ते मजबूत करे ट्रंप
Australia former PM on Trump Tariff : ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि यह कदम भारत-अमेरिका संबंधों के लिए झटका है, जबकि चीन जैसे देश इससे बच गए. एबॉट ने पाकिस्तान के साथ अमेरिका के रिश्तों पर भी सवाल उठाए और कहा कि 21वीं सदी भारत की है, जो वैश्विक नेतृत्व कर सकता है.

Australia Former PM on Trump Tariff : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के दौरान भारत समेत कई देशों के साथ संबंधों में तनाव तब पैदा हुआ जब उन्होंने भारत पर भारी टैरिफ लगाए. इस फैसले को अब ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने भी गलत बताया है. एबॉट ने कहा कि वे ट्रंप के समर्थक जरूर हैं, लेकिन भारत पर टैरिफ लगाने का निर्णय उचित नहीं था. उन्होंने इस बात पर भी ध्यान आकर्षित किया कि चीन जैसे देश भी व्यापार में धोखाधड़ी कर रहे हैं, लेकिन उनके साथ वैसा व्यवहार नहीं किया गया.
ट्रंप का टैरिफ नीति और भारत पर प्रभाव
अमेरिका के संबंधों पर टोनी एबॉट की टिप्पणियां
टोनी एबॉट ने पाकिस्तान और अमेरिका के हालिया करीब आने को भी आलोचना का विषय बनाया. उन्होंने कहा कि अमेरिका का हित पाकिस्तान के बजाय भारत के साथ मजबूत दोस्ती में है. उन्होंने कोल्ड वॉर के दौर में अमेरिका की पाकिस्तान पक्षपाती नीति को गलत बताया, क्योंकि भारत एक लिबरल लोकतंत्र है, जबकि पाकिस्तान में सैन्य तानाशाही का शासन है. पिछले दो दशकों से अमेरिका इस असंतुलन को सुधारने का प्रयास कर रहा था, लेकिन ट्रंप की टैरिफ नीति ने इस दिशा में एक झटका दिया है.
21वीं सदी में भारत का वैश्विक नेतृत्व
टोनी एबॉट ने भारत के भविष्य को लेकर भी अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि 21वीं सदी भारत की है और भारत के प्रधानमंत्री, चाहे वे किसी भी दशक में हों, अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ एक स्वतंत्र दुनिया के नेता के रूप में भूमिका निभा सकते हैं. यह संकेत है कि भारत का वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है.
भारत-अमेरिका के रिश्ते बेहद महत्वपूर्ण
टोनी एबॉट की टिप्पणियों से यह स्पष्ट होता है कि भारत-अमेरिका के रिश्ते केवल आर्थिक साझेदारी से अधिक व्यापक और महत्वपूर्ण हैं. ट्रंप प्रशासन के टैरिफ फैसले ने दोनों देशों के बीच कुछ खटास पैदा की है, लेकिन लोकतांत्रिक मूल्यों और साझा हितों के कारण यह केवल एक अस्थायी समस्या है. आने वाले समय में भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में फिर से मजबूती आने की संभावना है, जिससे वैश्विक स्तर पर दोनों देशों का सहयोग और बढ़ेगा.


