बांग्लादेश की पूर्व PM और बीएनपी प्रमुख बेगम खालिदा जिया का निधन, 80 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस
बांग्लादेश की मजबूत आवाज और पहली महिला प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया अब इस दुनिया में नहीं रहीं. 80 वर्ष की उम्र में उन्होंने ढाका के एवरकेयर अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली. लंबे समय से गंभीर बीमारियों से जूझ रही खालिदा जिया पिछले कुछ हफ्तों से अस्पताल में भर्ती थीं.

नई दिल्ली: बांग्लादेश की राजनीति से एक दुखद खबर सामने आई है. देश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की प्रमुख खालिदा जिया का निधन हो गया है. उन्होंने 80 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली. लंबे समय से गंभीर बीमारियों से जूझ रहीं खालिदा जिया ढाका के एक निजी अस्पताल में भर्ती थीं, जहां उनका इलाज चल रहा था.
बीएनपी मीडिया सेल के आधिकारिक फेसबुक पेज के जरिए उनके निधन की पुष्टि की गई. पार्टी की ओर से जारी बयान में बताया गया कि खालिदा जिया ने मंगलवार सुबह करीब 6 बजे अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर सामने आते ही बांग्लादेश की राजनीति और समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई.
कब हुआ निधन
बीएनपी की तरफ से जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक, खालिदा जिया का निधन मंगलवार सुबह 6 बजे हुआ. वह पिछले कई हफ्तों से ढाका के एवरकेयर अस्पताल में भर्ती थीं. उनकी तबीयत लगातार नाजुक बनी हुई थी और डॉक्टरों की टीम उनकी स्थिति पर करीबी नजर रखे हुए थी.
कई गंभीर बीमारियों से थीं पीड़ित
खालिदा जिया लंबे समय से लिवर संबंधी परेशानी, डायबिटीज, सीने में तकलीफ और हृदय से जुड़ी जटिलताओं से जूझ रही थीं. बीएनपी के अनुसार, उन्हें 23 नवंबर को एवरकेयर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हालत बिगड़ने पर 11 दिसंबर को उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया, जिसके बाद से उनकी स्थिति और अधिक गंभीर हो गई थी.
डॉक्टरों ने बताई थी हालत नाजुक
शनिवार को एवरकेयर अस्पताल के बाहर बिना किसी पूर्व सूचना के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई थी. इस दौरान डॉक्टर ए जेड एम जाहिद ने खालिदा जिया की सेहत को लेकर जानकारी दी थी. उन्होंने कहा था, हा नहीं कहा जा सकता कि उनकी हालत में सुधार हुआ है. फिलहाल उनकी हालत बेहद नाजुक बनी हुई है. इस बयान के बाद से ही उनकी स्थिति को लेकर चिंता और गहरी हो गई थी.
विदेश ले जाने की इच्छा रह गई अधूरी
बीएनपी ने खालिदा जिया को बेहतर इलाज के लिए विदेश ले जाने की इच्छा जताई थी. हालांकि, डॉक्टरों के अनुसार उनकी शारीरिक स्थिति इतनी नाजुक थी कि उन्हें कहीं और शिफ्ट करना संभव नहीं हो सका. इसी बीच, इलाज के दौरान ही उनका निधन हो गया. खालिदा जिया का जाना बांग्लादेश की राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति माना जा रहा है.


