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इस्तीफा देने के बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आए पूर्व नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली

ज़ेन जेड विरोध प्रदर्शनों के बाद पद से हटे पूर्व नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आए और अपने कार्यकाल का बचाव किया. इस बीच अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने मार्च 2026 तक निष्पक्ष चुनाव कराने का ऐलान किया.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

पूर्व नेपाली प्रधानमंत्री और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली शनिवार को पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आए, जब उन्होंने भक्तपुर में पार्टी की छात्र इकाई राष्ट्रीय युवा संघ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया. यह उनकी राजनीतिक वापसी का संकेत माना जा रहा है. खासकर उस समय जब हाल ही में ज़ेन जेड (Gen Z) विरोध प्रदर्शनों के दबाव में उन्हें प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था.

ओली ने अपने कार्यकाल का किया बचाव

ओली की इस मौजूदगी को पार्टी की युवा शाखा से जुड़ने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि यही समूह सरकार के प्रदर्शन-निपटान के तरीके का सबसे बड़ा आलोचक रहा है. कार्यक्रम के दौरान 73 वर्षीय ओली ने अपने कार्यकाल का बचाव किया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने कभी भी प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश नहीं दिया. उनके अनुसार जांच होनी चाहिए कि स्वचालित हथियार किसने इस्तेमाल किए, क्योंकि पुलिस के पास ऐसे हथियार नहीं थे.

हालांकि, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आंदोलन के दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने जानबूझकर सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया. ओली के मुताबिक, ऐसे कृत्य विरोध को कमजोर करने वाले थे और इससे देश की छवि पर भी नकारात्मक असर पड़ा.

प्रदर्शनों के दौरान 74 से अधिक लोगों की मौत

नेपाल में इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान 74 से अधिक लोगों की मौत हुई, जिनमें अधिकांश युवा थे. आंदोलन की शुरुआत सरकार द्वारा फेसबुक, एक्स और यूट्यूब सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने के आदेश से हुई थी. हालांकि बाद में यह आदेश वापस ले लिया गया, लेकिन प्रदर्शन थमे नहीं और अंततः ओली सरकार को सत्ता से हटना पड़ा.

प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें पारदर्शिता, जवाबदेही और व्यापक सुधारों की थीं. गुस्साए युवाओं ने सिंह दरबार, सर्वोच्च न्यायालय, संघीय संसद और राष्ट्रपति भवन (शीतल निवास) जैसी सरकारी संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया. इससे देशभर में राजनीतिक अस्थिरता और तनाव और गहरा गया.

2026 तक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव 

स्थिति को संभालने और नए सिरे से राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने के लिए नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया. उन्होंने साफ किया है कि उनकी प्राथमिकता मार्च 2026 तक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना है. कार्की सरकार ने चुनाव सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए अध्यादेश जारी किया है, जिसके तहत 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके नागरिकों को मतदान का अधिकार मिलेगा.

इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि नेपाल की राजनीति में युवा पीढ़ी निर्णायक भूमिका निभा रही है. ओली की वापसी उन्हें पार्टी के भीतर ताकत दे सकती है, लेकिन जनता की नाराज़गी और नई अंतरिम सरकार की पारदर्शिता की कसौटी उनके राजनीतिक भविष्य को तय करेगी.

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27 September 2025, 05:16 PM IST

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