महाराष्ट्र में 10वीं की परीक्षा से पहले बड़ा आंदोलन, 25 हजार स्कूल बंद...जानिए क्या है पूरा मामला
महाराष्ट्र में लगभग 25 हजार स्कूल शिक्षक संघों के आंदोलन के कारण बंद रहे. 10वीं बोर्ड परीक्षा से पहले निजी, आंशिक अनुदानित और बिना अनुदान वाली स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हुई. अध्यापकों की प्रमुख मांगें टीईटी अनिवार्यता रोक, समायोजन पर पुनर्विचार, गैर-शैक्षणिक कार्यों का बोझ घटाना और कंत्राटी प्रथा खत्म करना हैं.

मुंबई : महाराष्ट्र में आज लगभग 25 हजार स्कूल बंद रहे. यह बंद 10वीं बोर्ड परीक्षा से ठीक पहले निजी, आंशिक अनुदानित और बिना अनुदान वाली स्कूलों के प्रधानाध्यापक, शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारी अपनी मांगों के समर्थन में कर रहे हैं. हालांकि मुंबई में इसका खास असर नहीं देखा गया, लेकिन मराठवाड़ा क्षेत्र के कई स्कूल पूरी तरह बंद रहे. इस बंद के कारण करीब 18 हजार स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हुई.
क्या हैं अध्यापकों की प्रमुख मांगें ?
आंदोलन को लेकर सरकार की कड़ी चेतावनी
सरकार ने स्पष्ट किया है कि 5 दिसंबर को किसी भी प्रकार से शिक्षा कार्य बाधित नहीं होना चाहिए. स्कूल बंद रखने वाले प्रधानाध्यापक, शिक्षक और अन्य कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी और आंदोलन में शामिल लोगों का एक दिन का वेतन काटा जाएगा. माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षा संचालक डॉ. महेश पालकर ने सभी जिलों के शिक्षा अधिकारियों और मुंबई महापालिका को स्कूल खुलवाने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं.
अध्यापकों में बढ़ती नाराजगी
सरकार द्वारा वेतन कटौती का आदेश जारी होने के बाद अध्यापकों में नाराज़गी बढ़ गई है. महानगरीय अध्यापक संस्था ने कहा कि एक दिन की वेतन कटौती उनके हक पर चोट है और संस्था आंदोलन का समर्थन करेगी.
सरकार और शिक्षकों में टकराव बढ़ने की संभावना
अध्यापक संघ का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा. इस स्थिति में सरकार और अध्यापक संगठनों के बीच टकराव बढ़ने की संभावना है और इससे शिक्षा क्षेत्र में और अस्थिरता पैदा हो सकती है.


