रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप पर ED की बड़ी कार्रवाई, कुल अटैचमेंट ₹10,117 करोड़ पहुंची
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप से जुड़े बैंक फ्रॉड मामलों में ₹1,120 करोड़ की अतिरिक्त संपत्तियां अटैच की हैं, जिससे कुल अटैचमेंट ₹10,117 करोड़ तक पहुंच गया. ED ने RCOM, RHFL और RCFL सहित कई कंपनियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की.

महाराष्ट्र : प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप से जुड़े बैंक फ्रॉड मामलों में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है. एजेंसी ने समूह की ₹1,120 करोड़ की अतिरिक्त संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच कर लिया है. इस कार्रवाई के बाद समूह पर कुल अटैचमेंट का आंकड़ा बढ़कर ₹10,117 करोड़ तक पहुंच गया है.
कौन-कौन सी संपत्तियां अटैच हुईं
पहले अटैच की गई संपत्तियां
इससे पहले ED ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM), रिलायंस कॉमर्शियल फाइनेंस और रिलायंस होम फाइनेंस से जुड़े मामलों में ₹8,997 करोड़ मूल्य की संपत्तियाँ अटैच कर चुकी थी.
जांच में सामने आए गंभीर वित्तीय दुरुपयोग
ED की जांच में सामने आया कि रिलायंस ग्रुप की कई कंपनियों ने सार्वजनिक धन को बड़े पैमाने पर डायवर्ट किया. इसके तहत 2017–2019 के बीच Yes Bank ने RHFL में ₹2,965 करोड़ और RCFL में ₹2,045 करोड़ का निवेश किया, जो बाद में NPA बन गए. जांच में पता चला कि RHFL और RCFL ने ₹11,000 करोड़ से अधिक की पब्लिक मनी जुटाई थी. SEBI नियमों के कारण Reliance Nippon Mutual Fund सीधे इन कंपनियों में निवेश नहीं कर सकता था, इसलिए निवेश को घुमावदार रास्ते से Yes Bank के माध्यम से रिलायंस कंपनियों तक पहुंचाया गया.
2010–2012 के दौरान लोन और फंड फनलिंग
2010–2012 के बीच ग्रुप ने देश और विदेश से ₹40,185 करोड़ के लोन लिए. इनमें से 9 बैंक इन खातों को फ्रॉड घोषित कर चुके हैं. ED के अनुसार, ₹13,600 करोड़ के लोन को चुकाने के लिए नए लोन लेकर “एवरग्रीनिंग” की गई, ₹12,600 करोड़ रिलेटेड पार्टियों को ट्रांसफर किए गए और ₹1,800 करोड़ को FD/MF में निवेश कर वापस समूह कंपनियों को रूट किया गया. बिल डिस्काउंटिंग का भी दुरुपयोग कर बड़े पैमाने पर फंड फनलिंग की गई और कुछ धनराशि विदेशों में भेजी गई.
आगे की कार्रवाई
CBI की FIR के आधार पर ED ने RCOM, अनिल अंबानी और अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी जांच शुरू की है. इस मामले में संपत्तियों की अटैचमेंट और जांच प्रक्रिया जारी है, ताकि बैंक फ्रॉड और वित्तीय दुरुपयोग की पूरी जानकारी हासिल की जा सके.


