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आसमान में आमने-सामने आई चार महाशक्तियां, चीन-रूस ने उड़ाए एटम बम वाले लड़ाकू विमान, जापान और अमेरिका ने भी किया पलटवार

चीन-जापान तनाव रडार लॉक घटना के बाद तेज हो गया है, जिसमें अमेरिका ने जापान का समर्थन किया और चीन की आलोचना की. दूसरी ओर, रूस और चीन के संयुक्त सैन्य विमानों की उड़ान से क्षेत्रीय सुरक्षा चिंता बढ़ी है, स्थिति और अस्थिर होती दिख रही है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

नई दिल्लीः पूर्वी एशिया में चीन और जापान के बीच बढ़ते तनाव ने अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी चिंतित कर दिया है. हालात इतने गर्म हो चुके हैं कि अमेरिका और रूस ने भी इस मुद्दे पर खुलकर अपनी-अपनी स्थिति ले ली है. बीते सप्ताह चीन ने जापान के सैन्य विमानों पर रडार लॉक कर दिया था, जो किसी भी हमले से पहले की सबसे गंभीर चेतावनी मानी जाती है. जापान ने इस कदम को बेहद खतरनाक और उकसाने वाला बताया. वहीं चीन ने तनाव कम करने के बजाय रूस के फाइटर जेट्स को भी इसमें शामिल कर लिया, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है.

अमेरिका ने चीन की कार्रवाई की कड़ी आलोचना की

अमेरिका ने पहली बार साफ शब्दों में चीन की इस हरकत की निंदा की है. मंगलवार, 9 दिसंबर को अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि चीन का यह कदम इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता के खिलाफ है. अमेरिका का बयान ऐसे समय आया है जब जापान के ओकिनावा क्षेत्र के पास पिछले शनिवार को चीन द्वारा रडार लॉक करने की दो घटनाएं सामने आईं. इसे दोनों सेनाओं के बीच कई वर्षों में सबसे गंभीर सैन्य तनाव माना जा रहा है.

अमेरिकी विदेश विभाग ने स्पष्ट किया कि अमेरिका-जापान गठबंधन पहले से ज्यादा मजबूत है. हम अपने सहयोगी जापान के साथ पूरी तरह खड़े हैं और इस मुद्दे पर निरंतर संवाद कर रहे हैं." अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी जापान को पूर्ण समर्थन का भरोसा दिया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि वॉशिंगटन इस विवाद में जापान की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है.

चीन और रूस के जेट्स की संयुक्त उड़ान से बढ़ी चिंता

जापान का दावा है कि चीन की रडार हरकत के बाद रूस और चीन दोनों ने मिलकर अपने सैन्य विमानों को जापान के आसपास के क्षेत्रों में सक्रिय कर दिया. जापानी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, रूस के परमाणु क्षमता वाले दो TU-95 बॉम्बर्स और चीन के H-6 बॉम्बर्स ने जापान सागर से आते हुए पूर्वी चीन सागर की ओर उड़ान भरी.

इसके बाद जापान ने अपनी वायु सेना को सतर्क करते हुए कई फाइटर जेट्स को इंटरसेप्शन के लिए भेजा. यह पहली बार नहीं है जब रूस और चीन ने एक साथ सैन्य अभ्यास किया हो, लेकिन ऐसे संवेदनशील समय में उनकी संयुक्त उड़ान क्षेत्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों के लिए बेहद चिंताजनक है.

ओकिनावा क्षेत्र में तनाव चरम पर

जापान के ओकिनावा और मियाको द्वीपों के बीच चीनी जे-16 फाइटर जेट्स की लंबी उड़ान ने सुरक्षा चिंताओं को और बढ़ा दिया है. जापान ने बताया कि रूस और चीन के चार जेट्स के साथ उड़ान भरते समय चार चीनी J-16 जेट्स भी शामिल हुए.

दक्षिण कोरिया ने भी दावा किया कि उसके वायु रक्षा क्षेत्र में सात रूसी और दो चीनी विमान घुस आए. सियोल ने तुरंत अपने फाइटर जेट्स को अलर्ट पर भेजा. इससे यह साफ है कि चीन और रूस का सैन्य सहयोग सिर्फ जापान तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे पूर्वी एशिया में तनाव को बढ़ा रहा है.

क्षेत्रीय स्थिरता पर मंडरा रहा खतरा

विशेषज्ञों का मानना है कि चीन और जापान के बीच बढ़ते तनाव के पीछे क्षेत्रीय प्रभाव और समुद्री दावों को लेकर चल रहा भू-रणनीतिक संघर्ष है. रडार लॉक जैसी आक्रामक हरकतें किसी भी गलतफहमी को बड़े सैन्य टकराव में बदल सकती हैं.

अमेरिका पहले ही इंडो-पैसिफिक में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है, जबकि रूस चीन के साथ मिलकर सैन्य अभ्यासों को मजबूत कर रहा है. यदि कूटनीतिक स्तर पर संवाद नहीं बढ़ा, तो यह तनाव पूरे क्षेत्र में अस्थिरता का कारण बन सकता है.

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11 December 2025, 10:34 AM IST

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