दुनिया पर राज करने वाला अमेरिका भी कभी था गुलाम, जानिए फिर कैसे बना सुपरपावर
आज 4 जुलाई है, अमेरिका का स्वतंत्रता दिवस. जिस देश को आज दुनिया की सबसे बड़ी ताकत माना जाता है, वो कभी ब्रिटेन की गुलाम कॉलोनी था. 4 जुलाई 1776 को अमेरिका ने आजादी का ऐलान किया और यहीं से सुपर पावर बनने की उसकी यात्रा शुरू हुई. ये कहानी है एक ‘गलती’ से खोजे गए देश की, क्रांतियों, युद्धों और वैश्विक राजनीति में उसकी दादागिरी की.

US Independence Day 2025: आज अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये देश कभी खुद ब्रिटेन का गुलाम था? 4 जुलाई 1776 को अमेरिका ने ब्रिटिश शासन से खुद को आजाद घोषित किया और यहीं से उसकी सुपरपावर बनने की यात्रा शुरू हुई. आज जब अमेरिका का स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है, तो ये जानना बेहद जरूरी है कि वो कैसे गुलाम बना, किस तरह आजाद हुआ और कैसे पूरी दुनिया पर अपनी दादागीरी कायम कर ली.
क्रिस्टोफर कोलंबस की 'गलती'
क्रिस्टोफर कोलंबस भारत की खोज में निकले थे लेकिन 1492 में वो अमेरिका पहुंच गए. उन्होंने यूरोप को इस भूमि के बारे में बताया, जिसके बाद ब्रिटेन ने वहां अपनी 13 कॉलोनियां बसाईं और धीरे-धीरे अमेरिका को अपना उपनिवेश बना लिया. स्थानीय मूल निवासियों यानी रेड इंडियंस पर अत्याचार शुरू हुआ और उन्हें भारी टैक्स देना पड़ता था.
4 जुलाई 1776 को मिली आजादी
अंग्रेजों के अत्याचार से तंग आकर अमेरिका की 13 कॉलोनियों ने 2 जुलाई 1776 को स्वतंत्रता की घोषणा की प्रक्रिया शुरू की और 4 जुलाई को 'डिक्लेयरेशन ऑफ इंडिपेंडेंस' पर हस्ताक्षर कर दिए. थॉमस जेफरसन, जॉन एडम्स और बेंजामिन फ्रैंकलिन जैसे नेताओं ने आजादी की लड़ाई में बड़ी भूमिका निभाई. इसी के बाद अमेरिका हर साल 4 जुलाई को स्वतंत्रता दिवस मनाता है.
औद्योगिक क्रांति ने बदल दी तस्वीर
19वीं सदी में अमेरिका ने खुद को कृषि से औद्योगिक अर्थव्यवस्था की ओर मोड़ा. स्टीम इंजन, ट्रेन और फैक्ट्रियों की बदौलत अमेरिका की ताकत तेजी से बढ़ी. साल 1850 तक अमेरिका ने कैरेबियन और प्रशांत द्वीपों पर भी कब्जा कर लिया.
स्पेन से जंग और वैश्विक दबदबा
1898 में अमेरिका ने स्पेन से युद्ध किया और क्यूबा, गुआम, प्यूर्टो रिको और फिलीपींस पर कब्जा कर लिया. यही वो मोड़ था जब अमेरिका ने वैश्विक ताकत के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करनी शुरू की.
दोनों विश्व युद्धों ने दिलाई पहचान
1917 में अमेरिका प्रथम विश्व युद्ध में उतरा और मित्र राष्ट्रों को जीत दिलाने में मदद की. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पर्ल हार्बर पर जापान के हमले के बाद अमेरिका युद्ध में कूदा और अंत में हिरोशिमा व नागासाकी पर परमाणु हमला कर निर्णायक जीत हासिल की. इन युद्धों के बाद अमेरिका ने पूरी दुनिया पर अपनी धाक जमा ली.
आर्थिक मदद से बनाई पकड़
विश्व युद्धों के बाद अमेरिका की अर्थव्यवस्था दोगुनी हो गई थी. डॉलर वैश्विक मुद्रा बन गया और अमेरिका ने यूरोप व जापान को आर्थिक मदद दी. 1949 में NATO की स्थापना भी इसी कड़ी में हुई. संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक और IMF जैसे संस्थानों में अमेरिका की अहम भूमिका रही.
शीत युद्ध में भी आगे
रूस के साथ चली शीत युद्ध की होड़ में अमेरिका ने हथियारों के ज़रिए कई देशों को प्रभावित किया. अंतरिक्ष में सफलता, चांद पर पहला इंसान भेजना और खाड़ी देशों पर प्रभाव जमाना इसके उदाहरण हैं.
हथियारों का सबसे बड़ा व्यापारी
अमेरिका अब दुनिया का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बन गया है. स्टॉकहोम पीस रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, एक दिन में हथियार बेचकर अमेरिका 7553 करोड़ रुपये तक कमा लेता है. वह कई बार दोनों विरोधी देशों को एक साथ हथियार बेचता है.
दूसरे देशों की राजनीति में हस्तक्षेप
कोरिया युद्ध से लेकर इराक, ईरान, अफगानिस्तान और सीरिया तक, अमेरिका ने कहीं सीधे तो कहीं परोक्ष रूप से सरकारों को उखाड़ फेंका है. यूक्रेन-रूस युद्ध और इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष में भी अमेरिका की गहरी भूमिका रही है.


