सिर्फ दोस्ती नहीं, हथियारों तक बात! बांग्लादेश में रूस की एंट्री से भारत की बढ़ी चिंता

बांग्लादेश में रूस के तीन युद्धपोतों की एंट्री ने भारत की पेशानी पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं. सेना प्रमुख की रूस यात्रा के बाद ये दोस्ती अब हथियारों तक पहुँच रही है. क्या ये सिर्फ सद्भावना है या कुछ और बड़ा? जानिए पूरी खबर में!

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Edited By: Aprajita

Russia-Bangladesh Naval: बांग्लादेश में हाल ही में तीन रूसी युद्धपोतों का आगमन हुआ है, जिससे दोनों देशों के बीच के सैन्य संबंधों को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. यह घटनाक्रम बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज़-ज़मान की हाल ही में रूस की यात्रा के बाद हुआ है. भारत के लिए यह घटनाएं विशेष रूप से चिंता का कारण बन सकती हैं, क्योंकि इससे क्षेत्रीय सुरक्षा के माहौल पर असर पड़ सकता है.

रूसी युद्धपोतों का बांग्लादेश पहुंचना

बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पर सोमवार को तीन रूसी युद्धपोत पहुंचे. इन युद्धपोतों में रेज्की, अल्दार त्सिडेंझापोव और पेचेंगा शामिल हैं. यह पोत बांग्लादेश में चार दिन के लिए रहेंगे. इन युद्धपोतों का स्वागत बांग्लादेशी नौसेना के जहाज बीएनएस खालिद बिन वालिद द्वारा किया गया. यह बंदरगाह चीनी फंडिंग से बना है, जो इस पूरी घटना को और भी संवेदनशील बना देता है.

बांग्लादेशी सेना प्रमुख की रूस यात्रा के बाद यह कदम

रूसी युद्धपोतों का बांग्लादेश पहुंचना बांग्लादेशी सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज़-ज़मान की रूस यात्रा के एक सप्ताह बाद हुआ है. इस यात्रा के दौरान जनरल ज़मान ने रूस के नागरिक और सैन्य नेतृत्व से मुलाकात की थी और रूसी हथियार निर्माण सुविधाओं का दौरा भी किया था. इस यात्रा के बाद से यह साफ है कि बांग्लादेश और रूस के बीच सैन्य संबंधों में मजबूती आई है.

रूसी युद्धपोतों की सद्भावना यात्रा

रूसी नौसेना के युद्धपोत इन दिनों बांग्लादेश में एक सद्भावना यात्रा पर हैं. चटगाँव के नौसेना क्षेत्र में इन युद्धपोतों का स्वागत किया गया, और साथ ही बांग्लादेशी अधिकारियों और रूसी राजदूत ने भी इस मौके पर शिष्टाचार भेंट की. इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को बढ़ाना और रक्षा संबंधों को मजबूत करना है.

क्या है भारत की चिंता?

भारत के लिए यह घटनाक्रम चिंता का कारण बनता है, क्योंकि यह रूस और बांग्लादेश के बीच मजबूत होते सैन्य संबंधों को दर्शाता है. भारत ने हमेशा बांग्लादेश के साथ मजबूत रिश्तों को बनाए रखने की कोशिश की है, लेकिन रूस का बढ़ता प्रभाव इस समीकरण को जटिल बना सकता है. इसके अलावा, बांग्लादेश का यह कदम चीन के साथ भी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि चटगांव बंदरगाह को चीन द्वारा फंड किया गया है.

रूसी युद्धपोतों का भविष्य

इन युद्धपोतों का बांग्लादेश में स्वागत रूस के बढ़ते प्रभाव और दोनों देशों के रिश्तों की एक नई दिशा को दिखाता है. भारतीय अधिकारियों के लिए यह संकेत है कि बांग्लादेश अपनी सुरक्षा और सैन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस की ओर रुख कर रहा है, जो कि भारत के लिए चिंता का विषय बन सकता है.

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16 April 2025, 02:29 PM IST

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