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गाजा में भूख का आतंक: नाकाबंद ने छीनी रोटी, मौत की दहलीज पर 20 लाख जिंदगियां 

गाजा पट्टी पर मौत का साया गहरा गया है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने चेतावनी दी है कि गेहूं का आखिरी भाडार खत्म हो चुका है. हालात इतने खतरनाक हैं कि 20 लाख से ज्यादा फिलिस्तीनी भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं. 

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

इंटरनेशनल न्यूज. गाजा पट्टी में हालात अब इंसानी त्रासदी चरम सीमा पर पहुंच चुके हैं. सुंयुक्त राष्ट्र की एजेंसी  UNRWA ने साफ कर दिया  है कि गाजा में उनके आटे का आखिरी भंडार खत्म हो चुका है. एक्स प्लेटफॉर्म पर साझा की गई जानकारी के मुताबिक, पिछले कई दिनों से स्थिति लगातार बिगड़ रही थी. अब हालात यह है कि 2 मार्च से बंद इजराइली क्रॉसिंगों की वजह से हजारों ट्रक मानवीय सहायता लेकर खड़े हैं, लेकिन भीतर जाने की इजाजत नहीं मिल रही. 

भूख से मर रहे हैं मासूम बच्चे

UNRWA प्रमुख फिलिप लाजारिनी ने चेतावनी दी है कि गाजा में भूख से मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. उनके अनुसार 2.4 मिलियन से ज्यादा फिलिस्तीनी अब गंभीर खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं. सबसे दर्दनाक तस्वीर बच्चों की है, जो पेट में दर्द, कमजोरी और कुपोषण के कारण दम तोड़ रहे हैं. लाजारिनी ने इसे ‘राजनीतिक भुखमरी’ करार दिया है और इजराइल पर जानबूझकर मानवीय सहायता रोकने का आरोप लगाया है.

रसोई भी हुईं खाली, मदद की कोई उम्मीद नहीं

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने भी 25 अप्रैल को अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि गाजा के सभी कम्युनिटी किचन अब आखिरी सप्लाई इस्तेमाल कर चुके हैं. आने वाले दिनों में यहां गर्म भोजन मिलना पूरी तरह से बंद हो जाएगा. संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि अब कोई स्टॉक शेष नहीं है और अगर तुरंत आपूर्ति नहीं खोली गई तो हालात और भी भयावह हो जाएंगे.

भूख की सियासत ने छीना आखिरी सहारा

गाजा में चल रही घेराबंदी अब सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं रही. यह आम जनता को सामूहिक रूप से सजा देने का माध्यम बन गई है. भोजन, पानी और दवाइयों की सप्लाई रोककर इजराइल ने गाजा के लाखों बेकसूर लोगों को भुखमरी के अंधेरे में धकेल दिया है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तमाम अपीलों के बावजूद कोई राहत नहीं मिली है.

एक कराहता हुआ इलाका 

गाजा आज सिर्फ एक युद्ध क्षेत्र नहीं, बल्कि एक जीता-जागता मानवता का कब्रिस्तान बनता जा रहा है. बच्चों की भूख से बिखलती आवाजें, बूढों की सूखी आंखें और मांओं का टूटता विश्वास एक भयानक तस्वीर पेश कर रहा है. सवाल उठता है कि क्या दुनिया इन आवाजों को सुनने के लिए जागेगी या फिर गाजा की यह त्रासदी इतिहास के किसी कोने में दफन हो जाएगी.

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28 April 2025, 11:50 AM IST

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