ट्रंप के समर्थन में उतरा उनका बेटा जूनियर ट्रंप, कहा- 'पापा ये जंग जरूर रुकवाएंगे'
डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को 'बिना मतलब का' बताते हुए फिर से इसे खत्म करने की इच्छा जताई है. वहीं, उनके बेटे ने दावा किया कि "पापा ये जंग जरूर रुकवाएंगे." ट्रंप पहले भी युद्ध रोकने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है.

रूस और यूक्रेन के बीच लगभग तीन वर्षों से जारी युद्ध को लेकर एक बार फिर अमेरिका की ओर से बयान सामने आया है. इस बार खुद डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन संघर्ष की भयावहता पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ' पर पोस्ट करते हुए बताया कि इस महीने में ही करीब 20,000 रूसी सैनिक मारे गए हैं. जबकि वर्ष 2025 की शुरुआत से अब तक रूस ने लगभग 1,12,500 सैनिकों की जान गंवाई है. ट्रंप ने इस युद्ध को "बेतुका और अनावश्यक" बताया.
यूक्रेन को भारी जानमाल का नुकसान
ट्रंप के अनुसार, यूक्रेन को भी भारी जानमाल का नुकसान हुआ है. उनके अनुसार, 1 जनवरी 2025 से अब तक यूक्रेनी सेना ने लगभग 8,000 सैनिकों को खोया है, जिनमें कई लापता भी हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि नागरिकों की मौतें भी हुई हैं, विशेषकर कीव और अन्य शहरों में जहां रूसी मिसाइलें गिरी हैं. ट्रंप ने इस युद्ध के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यह युद्ध उनका है, न कि मेरा. उन्होंने संकेत दिया कि यदि संभव हुआ तो वे इस युद्ध को रोकने की कोशिश करेंगे.
My father is committed to ending wars 🇺🇸 pic.twitter.com/04RY7j0kYt
— Donald Trump Jr. (@DonaldJTrumpJr) August 1, 2025
इस पर ट्रंप के बेटे जूनियर ट्रंप ने भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने अपने पिता की पोस्ट पर कमेंट करते हुए विश्वास जताया कि उनके पापा इस युद्ध को ज़रूर रुकवाएंगे. जूनियर ट्रंप का यह बयान व्हाइट हाउस की उस पुरानी टिप्पणी के बाद आया जिसमें कहा गया था कि ट्रंप प्रशासन ने छह अलग-अलग युद्धों को रोका था और उन्हें इसके लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए.
ट्रंप का वादा कब होगा पूरा?
हालांकि, ट्रंप इससे पहले यह वादा कर चुके थे कि यदि वे फिर से राष्ट्रपति बने, तो पद संभालने के 100 दिनों के भीतर रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त कर देंगे. अब तक उनकी यह घोषणा अधूरी साबित हुई है. उन्होंने यूक्रेनी राष्ट्रपति से इस मुद्दे पर चर्चा भी की थी, लेकिन वार्ता तल्ख बहस में बदल गई थी. इसके बावजूद दो बार युद्धविराम की कोशिशें हुई हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है.


