शादी से पहले दुल्हन के दांत तोड़ने की रस्म! चीन के इस आदिवासी समाज की परंपरा ने दुनिया को चौंकाया
दुनिया भर में अलग-अलग समुदायों में शादी की अनोखी और दिलचस्प परंपराएं होती हैं, लेकिन चीन में गेलाओ जनजाति की परंपरा ऐसी है जो सभी को हैरान कर देती है. इस समुदाय में, पीढ़ियों से चली आ रही एक प्रथा है, जिसमें शादी से पहले महिलाओं के ऊपर के एक या दो दांत निकाल दिए जाते हैं.

नई दिल्ली: दुनिया भर में अलग-अलग समुदायों की अलग-अलग शादी-विवाह की अनूठी परंपराएँ हैं, लेकिन चीन के गेलाओ आदिवासी समूह की परंपरा कुछ ऐसी है जिसे जानकर कोई भी हैरान रह जाए. इस समुदाय में दुल्हन बनने वाली महिलाओं को शादी से पहले एक या दो ऊपर के दांत निकालने की प्रथा सदियों से चली आ रही है, जिसे आज भी इतिहास और संस्कृति का एक अजीब और दर्दनाक स्मरण माना जाता है.
यह परंपरा सिर्फ एक सामाजिक रिवाज नहीं बल्कि गेलाओ समाज के सांस्कृतिक विश्वास और पारिवारिक सौभाग्य की मान्यता से जुड़ी हुई है. यहाँ दांत निकालने की रस्म को शारीरिक परिवर्तन के रूप में देखा जाता था, जिसका गहरा पुरातन धार्मिक और सांस्कृतिक अर्थ रहा है.
कौन हैं गेलाओ समुदाय के लोग ?
गेलाओ लोग एक प्राचीन जातीय समूह हैं, जो मुख्य रूप से चीन और वियतनाम के कुछ हिस्सों में रहते हैं. चीन में इनकी अनुमानित संख्या 677,000 से अधिक है और अधिकतर लोग दक्षिणी चीन के गुइझोऊ प्रांत के पश्चिमी क्षेत्रों में बसे इलाकों में रहते हैं.
क्यों दुल्हन के निकाले जाते है दांत
गेलाओ परंपरा के अनुसार, शादी से पहले दुल्हन को अपने एक या दो ऊपरी दांत निकालने पड़ते थे. इस अभ्यास के पीछे समाज में यह विश्वास प्रचलित था कि अगर दांत पूरी तरह रहते हैं तो वह दूल्हे के परिवार के लिए दुर्भाग्य लेकर आते हैं और इससे संतान या वैवाहिक सौभाग्य में बाधा उत्पन्न हो सकती है.
कुछ मामलों में यह भी कहा जाता था कि दांत कटे होने के कारण यदि दांत पूरी तरह चले गए हों तो उनके स्थान पर कभी-कभी कुत्ते के दांत भी सजावट के तौर पर डाले जाते थे. ऐसी अमान्य परंपरा आज सोचने पर भी चौंकाती है.
अन्य मत यही बताते हैं कि यह प्रथा गलती से टूटे दांत की लोककथा से उत्पन्न हुई, जब एक गेलाओ महिला शादी से पहले फल इकट्ठा करते समय गिरने के कारण अपने दो दांत खो बैठी थी, और समुदाय ने उसकी बहादुरी का सम्मान करते हुए इसे रस्म का रूप दे दिया.
कैसे निकाले जाते है दांत
परंपरा के अनुसार, दांत निकालने की प्रक्रिया किसी दंत चिकित्सक के माध्यम से नहीं बल्कि परिवार और समुदाय के करीबियों से की जाती थी. सबसे पहले एक विशेष शराब का बर्तन तैयार किया जाता था और लड़की के मामा को सम्मानपूर्वक आमंत्रित किया जाता था. तब मामा छोटे हथौड़े से दांत को तोड़ते या निकालते थे.
यदि मामा मौजूद नहीं होते थे, तो माता के किसी अन्य पुरुष रिश्तेदार द्वारा यह रस्म पूरी की जाती थी. दांत निकालने के बाद मसूड़ों पर विशेष औषधीय पाउडर लगाया जाता था, ताकि जल्दी स्वस्थ हो सके.
यह प्रथा अब लुप्त हो चुकी है
समय के साथ यह परंपरा धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है और अब इसे व्यवहार में बहुत कम समुदाय में ही देखा जाता है. यह केवल एक संस्कृतिक प्रतीक के रूप में रही है, न कि किसी समाज में आज भी आमतौर पर अनुसरण की जाने वाली परंपरा.


