एआई बूम में भारतीयों का अहम रोल! अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप से एच-1बी फीस कम करने के लिए लिखा पत्र
अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रंप से एच-1बी वीजा पर नए शुल्क और प्रतिबंधों को वापस लेने की मांग की है. उन्होंने चेतावनी दी कि यह कदम अमेरिका की तकनीकी बढ़त, नवाचार और भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को नुकसान पहुंचा सकता है. सांसदों ने इसे विस्तार योग्य कार्यक्रम बताया.

नई दिल्लीः अमेरिका के कई सांसदों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से एच-1बी वीजा कार्यक्रम पर हाल ही में की गई सख्त घोषणा को वापस लेने की अपील की है. सांसदों ने चेतावनी दी है कि इस फैसले से न केवल अमेरिका की कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और तकनीकी बढ़त को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि भारत के साथ उसकी रणनीतिक साझेदारी पर भी असर पड़ेगा.
ट्रंप प्रशासन का आदेश
राष्ट्रपति ट्रंप ने 19 सितंबर को कुछ गैर-आप्रवासी कामगारों के प्रवेश पर प्रतिबंध का एक आदेश जारी किया था, जिसमें एच-1बी वीजा आवेदनों पर नए शुल्क और सीमाएं लागू की गईं. इस आदेश के तहत वीजा आवेदन पर 100,000 अमेरिकी डॉलर का नया शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया गया. अमेरिकी सांसदों के अनुसार, यह कदम अमेरिका की नवाचार क्षमता और तकनीकी विकास के लिए खतरा साबित हो सकता है.
सांसदों का संयुक्त पत्र
कांग्रेस सदस्यों जिमी पनेटा, अमी बेरा, सालुद कार्बाजल और जूली जॉनसन ने गुरुवार को ट्रंप को एक पत्र लिखकर इस आदेश को रोकने का आग्रह किया. उन्होंने लिखा, “हाल ही में भारत की यात्रा के दौरान हमने महसूस किया कि एच-1बी वीजा कार्यक्रम न केवल अमेरिका की अर्थव्यवस्था के लिए बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है.”
पत्र में कहा गया कि इन नए प्रतिबंधों से विशेष रूप से भारतीय पेशेवरों को झटका लगेगा, क्योंकि वर्ष 2023 में जारी किए गए एच-1बी वीजा धारकों में 71 प्रतिशत भारतीय थे.
भारतीय प्रतिभा से अमेरिका की तकनीकी बढ़त
सांसदों ने जोर देकर कहा कि भारतीय नागरिक सूचना प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में अमेरिकी नेतृत्व का आधार हैं. उन्होंने लिखा, “जब चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उन्नत तकनीकों में तेजी से निवेश कर रहा है, तब अमेरिका को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करने पर ध्यान देना चाहिए, न कि उनके रास्ते में बाधाएं खड़ी करनी चाहिए.”
सांसदों ने एच-1बी कार्यक्रम को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) क्षेत्रों में अमेरिकी प्रतिस्पर्धा की रीढ़ बताया. उनके अनुसार, इस कार्यक्रम के माध्यम से आने वाले पेशेवर नवाचार, पेटेंट निर्माण और नए व्यवसायों के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं.
स्टार्टअप और अनुसंधान संस्थानों पर असर
सांसदों ने यह भी चेतावनी दी कि 100,000 डॉलर की फीस केवल बड़ी कंपनियों तक इस कार्यक्रम की पहुंच सीमित कर देगी, जिससे छोटे स्टार्टअप और अनुसंधान केंद्र विदेशी विशेषज्ञता से वंचित हो जाएंगे. प्रतिनिधि जिमी पनेटा ने कहा कि एच-1बी कार्यक्रम को सीमित नहीं बल्कि विस्तारित किया जाना चाहिए, ताकि यह अमेरिका की तकनीकी प्रगति में और योगदान दे सके.
भारत-अमेरिका संबंधों पर पड़ सकता है असर
पत्र में कूटनीतिक दृष्टिकोण से भी इस निर्णय की आलोचना की गई. सांसदों ने लिखा कि कमजोर वीजा नीति भारत जैसे प्रमुख लोकतांत्रिक सहयोगी के साथ अमेरिका के संबंधों को नुकसान पहुंचा सकती है. एच-1बी कार्यक्रम के माध्यम से भारत-अमेरिका की साझेदारी और मजबूत होती है. उन्होंने कहा कि भारतीय-अमेरिकी पेशेवर न केवल अर्थव्यवस्था में बल्कि शैक्षणिक और सामाजिक क्षेत्रों में भी अहम योगदान दे रहे हैं.
अंतिम चेतावनी
पत्र के अंत में सांसदों ने कहा कि एच-1बी कार्यक्रम तक पहुंच बनाए रखना केवल नौकरियों को भरने का साधन नहीं है, बल्कि यह 21वीं सदी के उन उद्योगों में अमेरिकी नेतृत्व को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है, जो वैश्विक शक्ति के संतुलन को परिभाषित करेंगे.


