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ईरान का 'परमाणु किला' फोर्डो बना वैश्विक चिंता का केंद्र, इस्राइल की बढ़ी बेचैनी

ईरान और इस्राइल के बीच बढ़ते तनाव के केंद्र में है ईरान का अत्यधिक संरक्षित परमाणु ठिकाना फोर्डो फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट. यह ठिकाना पहाड़ के भीतर 80-90 मीटर गहराई में स्थित है, जहां 60% तक युरेनियम संवर्धन हो रहा है, जो परमाणु हथियार बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. 2023 में यहां 83.7% शुद्धता वाला युरेनियम पाया गया था.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

पिछले कुछ दिनों में ईरान और इस्राइल के बीच तनाव बेहद खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है. इस्राइल ने तेहरान स्थित कुछ परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया है, जिससे यह आशंका गहराने लगी है कि कहीं यह संघर्ष न्यूक्लियर संकट की ओर न बढ़ जाए. इस पूरे घटनाक्रम के केंद्र में है ईरान का सबसे रहस्यमय और सुरक्षित परमाणु ठिकाना—फोर्डो फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट.

फोर्डो की मौजूदगी और उसकी संरचना ने वैश्विक शक्तियों की नींद उड़ा दी है. इस ठिकाने की भौगोलिक बनावट और उसमें चल रही युरेनियम संवर्धन प्रक्रिया, उसे महज एक तकनीकी कदम दूर रखती है परमाणु हथियार बनाने से.

क्या है फोर्डो और क्यों है यह इतना महत्वपूर्ण?

फोर्डो फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट ईरान के शहर क़ोम के पास एक पहाड़ के भीतर 80-90 मीटर गहराई में बसा हुआ है. यह एक अत्यधिक संरक्षित और रहस्यमय परमाणु ठिकाना है, जिसे 2009 में पश्चिमी खुफिया एजेंसियों ने उजागर किया था. इसे इस प्रकार बनाया गया है कि यह किसी भी हवाई हमले से लगभग अछूता रहे.

इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह उच्च स्तर तक युरेनियम संवर्धन करने में सक्षम है, जिससे परमाणु हथियार बनाने की राह आसान हो सकती है. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के अनुसार, फोर्डो में 2,700 सेंट्रीफ्यूज लगे हैं और यहां 60% तक युरेनियम संवर्धित किया जा रहा है—जबकि हथियार बनाने के लिए 90% शुद्धता की जरूरत होती है.

2023 में मिला 83.7% शुद्ध युरेनियम

IAEA की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में फोर्डो में 83.7% शुद्धता वाला युरेनियम पाया गया, जो परमाणु हथियार के लिए जरूरी 90% स्तर के बेहद करीब है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ईरान ने हथियार निर्माण का निर्णय लिया, तो वह हफ्तों के भीतर कई बमों के लायक सामग्री तैयार कर सकता है.

अमेरिका के अलावा किसी के पास नहीं है यह क्षमता

फोर्डो की सुरक्षा इतनी मजबूत है कि इस्राइल के पास उपलब्ध सबसे शक्तिशाली बंकर बस्टर बम भी इसके केंद्र तक नहीं पहुंच सकते. केवल अमेरिका के पास 30,000 पाउंड वजनी ‘GBU-57 बंकर बस्टर’ बम है, जो फोर्डो जैसी संरचना को भेद सकता है वह भी तब जब कई हमले एक साथ किए जाएं. यही कारण है कि विशेषज्ञ फोर्डो को ईरान की "न्यूक्लियर इंश्योरेंस पॉलिसी" और दुनिया के लिए "रेड लाइन" मानते हैं. "ईरानियों को पूरी तरह से पता था कि इजरायल उनके कार्यक्रमों में घुसने की कोशिश करेगा, और उन्होंने इराक के बाद की समस्या का ख्याल रखने के लिए बहुत समय पहले एक पहाड़ के अंदर फोर्डो का निर्माण किया था," - वली नस्र, जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय

क्या फोर्डो बन सकता है युद्ध का कारण?

फोर्डो सिर्फ एक तकनीकी या सामरिक मुद्दा नहीं, बल्कि एक वैश्विक तनाव का केंद्र बन गया है. इस पर हमला करने का मतलब होगा सीधे तौर पर ईरान की संप्रभुता को चुनौती देना, जिससे पूरा पश्चिम एशिया युद्ध की आग में झुलस सकता है. इस्राइल के पास कोई प्रभावी सैन्य विकल्प न होने के कारण, उसे फोर्डो की बिजली आपूर्ति या बाहरी लॉजिस्टिक्स को निशाना बनाना पड़ सकता है. लेकिन ऐसे हमलों का परिणाम क्षेत्रीय युद्ध और वैश्विक निंदा के रूप में सामने आ सकता है.

भारत की चेतावनी: 'आतंक अब युद्ध है'

इस बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर बातचीत में दो टूक कहा, “अब भारत आतंकवाद को ‘प्रॉक्सी वॉर’ नहीं बल्कि एक सीधा युद्ध मानेगा.” उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अपने सैन्य फैसलों पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा.

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18 June 2025, 11:57 AM IST

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