बांग्लादेश चुनाव से पहले बड़ी सियासी हलचल, क्या तारिक रहमान की वापसी से बदलेगा खेल?
पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और BNP के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान लगभग 17 साल बाद बांग्लादेश वापस लौट रहे हैं. उनकी वापसी को आम चुनाव के चलते बेहद अहम माना जा रहा है.

बांग्लादेश में फरवरी में होने जा रहे आम चुनाव से पहले सियासी हालात तेजी होती नजर आ रही है. पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और बांग्लादेश राष्ट्रवादी पार्टी (BNP) के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान लगभग 17 वर्षों के स्वैच्छिक निर्वासन के बाद गुरुवार को देश लौट रहे हैं. उनकी वापसी को आम चुनाव से पहले BNP की रणनीति के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है. पार्टी ने दावा किया है कि रहमान के स्वागत के लिए करीब 50 लाख समर्थक सड़कों पर उतरेंगे. तारिक रहमान के साथ उनकी पत्नी डॉ. जुबैदा रहमान और बेटी जैमा भी बांग्लादेश पहुंचेंगी.
तारिक रहमान की वापसी ऐसे समय हो रही है, जब छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या को लेकर देशभर में गुस्से और असंतोष का माहौल है. 60 वर्षीय तारिक रहमान को BNP के अंदर प्रधानमंत्री बनने का प्रबल दावेदार माना जा रहा है. उनकी मां और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की उम्र करीब 80 वर्ष है और वे गंभीर रूप से बीमार चल रही हैं. माना जा रहा है कि इसी कारण तारिक रहमान ने लंबे समय बाद देश लौटने का फैसला किया.
किसे मिल सकता है समर्थन?
अमेरिका स्थित इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टीट्यूट के पूर्व-चुनाव सर्वेक्षणों के मुताबिक, आगामी चुनावों में BNP को लगभग 33 प्रतिशत समर्थन मिल सकता है, जबकि जमात-ए-इस्लामी को 29 प्रतिशत समर्थन मिलने का अनुमान है. इन आंकड़ों ने बीएनपी के भीतर उम्मीदें और आत्मविश्वास बढ़ा दिया है.
तारिक रहमान पर लगे थे गंभीर आरोप
तारिक रहमान 2008 से लंदन में रह रहे थे. उस दौरान उन पर मनी लॉन्ड्रिंग, भ्रष्टाचार और शेख हसीना की हत्या की साजिश से जुड़े कई गंभीर आरोप लगे थे. हालांकि, अगस्त 2024 में छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद उन्हें सभी 84 मामलों से बरी कर दिया गया था.
काफी चर्चित रहा तारिक रहमान का इतिहास
1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान तारिक रहमान बचपन में कुछ समय के लिए बंदी बनाए गए थे, जिसके कारण पार्टी उन्हें सबसे कम उम्र के युद्धबंदियों में से एक बताती है. ढाका विश्वविद्यालय से अंतरराष्ट्रीय संबंधों की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने 23 वर्ष की उम्र में राजनीति में कदम रखा. 1975 के तख्तापलट के बाद उनके पिता जियाउर रहमान सत्ता में उभरे थे, लेकिन 1981 में जब रहमान 15 वर्ष के थे तो उनके पिता की हत्या कर दी गई.
"न दिल्ली, न पिंडी- बांग्लादेश सर्वोपरि"
हाल के बयानों में तारिक रहमान ने स्पष्ट किया है कि उनकी राजनीति “न दिल्ली, न पिंडी- बांग्लादेश सर्वोपरि” के सिद्धांत पर आधारित होगी. उन्होंने कट्टरपंथी ताकतों की आलोचना करते हुए अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द को बीएनपी की प्राथमिकता बताया है. ऐसे में उनकी घर वापसी को न सिर्फ एक राजनीतिक वापसी, बल्कि बांग्लादेश की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है.


