निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी, यमन की जेल में दम तोड़ेगी एक भारतीय नर्स!
केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में 16 जुलाई को फांसी दी जाएगी. पलक्कड़ की रहने वाली निमिषा पर यमनी नागरिक की हत्या का आरोप है. तमाम कोशिशों और ब्लड मनी के प्रयासों के बावजूद सजा टालने में नाकामी मिली. वह 8 साल से सना की जेल में बंद हैं.

भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की जिंदगी अब मौत की दहलीज पर है. केरल की रहने वाली यह 37 वर्षीय महिला नर्स 16 जुलाई को यमन में फांसी पर लटकाई जाएगी. उन पर यमन के नागरिक तलाल महदी की हत्या का आरोप है. आठ साल से जेल में बंद निमिषा की सजा को यमन की अदालत, सर्वोच्च न्यायिक परिषद और राष्ट्रपति तक ने बरकरार रखा है. अब उनके परिवार और भारत सरकार की सारी कोशिशें नाकाम होती नजर आ रही हैं.
निमिषा प्रिया 2011 में बतौर नर्स यमन की राजधानी सना गई थीं. वहां उन्होंने अपनी मेहनत से खुद का क्लीनिक खोला. इस क्लीनिक में उनके साथ यमन का नागरिक तलाल महदी साझेदार था. पहले सब ठीक रहा, लेकिन जल्द ही तलाल के साथ रिश्ते खराब हो गए. आरोप है कि तलाल ने निमिषा के साथ मारपीट शुरू कर दी. 2016 में तलाल को शोषण और हिंसा के आरोप में जेल जाना पड़ा. लेकिन 2017 में बाहर आकर उसने फिर से निमिषा को परेशान करना शुरू कर दिया.
हत्या और बॉडी के टुकड़े
बताया जाता है कि तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया था और उन्हें ब्लैकमेल कर रहा था. पासपोर्ट वापस लेने के लिए निमिषा ने उसे नशीला इंजेक्शन दिया, लेकिन ओवरडोज़ से तलाल की मौत हो गई. आरोप है कि निमिषा और उनके साथी अब्दुल हनान ने मिलकर तलाल की बॉडी के टुकड़े कर पानी के टैंक में फेंक दिए.
घटना के बाद दोनों को गिरफ्तार किया गया और 2018 में निमिषा को हत्या का दोषी ठहराया गया. 2020 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई, जबकि हनान को उम्रकैद.
ब्लड मनी और सरकार की कोशिशें
यमन के कानून में ब्लड मनी (मुआवज़ा देकर फांसी टालने) का प्रावधान है. निमिषा की मां प्रेमा कुमारी ने महदी के परिवार से बातचीत की, लेकिन वे राज़ी नहीं हुए. भारत सरकार ने भी कोशिश की, लेकिन यमन की राजनीतिक स्थिति और हूती विद्रोहियों के नियंत्रण वाले इलाके में होने की वजह से औपचारिक संपर्क संभव नहीं हो पाया.
अब कोई रास्ता नहीं बचा
सना की जेल, जहां निमिषा बंद हैं, हूती विद्रोहियों के कब्ज़े में है और भारत के उनके साथ राजनयिक संबंध नहीं हैं. यमन में गृहयुद्ध, कूटनीतिक जटिलताएं और ब्लड मनी पर समझौता न होने की वजह से अब फांसी टालने का कोई रास्ता नहीं बचा है. 16 जुलाई को निमिषा को फांसी दी जाएगी, और इसके साथ ही एक भारतीय महिला की जिंदगी यमन की सियासी और कानूनी जटिलताओं में खत्म हो जाएगी.


